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यमुना प्राधिकरण(यीडा) के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता की मुश्किलें बढ़ गयी हैं।दरअसल यमुना प्राधिकरण में 126 करोड़ के घोटाले का खुलासा हुआ है।प्राधिकरण के चेयरमैन प्रभात कुमार की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 18 दिसंबर 2017 को प्राधिकरण के महाप्रबंधक नियोजन ने जमीन से संबंधित एक रिपोर्ट सौंपी थी।उसके बाद प्राधिकरण ने 7 मई-2018 को भूमि से संबंधित एक अन्य रिपोर्ट मेरठ के कमिश्नर और वाईईआईडीए के चेयरमैन प्रभात कुमार को सौंपी।दोनों रिपोर्ट के अध्ययन के बाद कमिश्नर को भ्रष्टाचार की आशंका हुई।इसके बाद कमिश्नर ने खुद इस मामले की जांच की और आखिरकार आशंकाएं सच साबित हुई।
क्या है पूरा मामला?
प्राधिकरण की तरफ से जमीन की खरीद में गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट के आधार पर पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता व तहसीलदार सुरेश चन्द्र शर्मा समेत 21 लोगों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज कराई गयी है।एफ़आईआर नोएडा के कासना थाने में आईपीसी की धारा-420, 467, 468, 471 और120बी के तहत दर्ज की गई है।वहीं इस पूरे मामले की बड़े स्तर पर जांच कराने के संदर्भ में सरकार को रिपोर्ट भेजी गयी है।
दरअसल यमुना प्राधिकरण में जमीन की खरीद को लेकर बड़े पैमाने पर बंदरबांट की गयी।बंद कमरों में करोड़ो के वारे-न्यारे कर दिये गए।जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि प्राधिकरण में पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता ने अपने रिश्तेदारों,परिचितों और अफसरों के साथ मिलकर 19 शेल कंपनी बनाई और इन कंपनियों से मथुरा जिले के 7 गांवों की 57.1549 हेक्टेयर भूमि खरीदी गई।इस जमीन के एवज में 85.49 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया। जबकि इस जमीन पर प्राधिकरण की किसी भी योजना में प्रस्ताव तक नहीं था।
कितना हुआ है नुकसान?
आपको बताते कि प्राधिकरण द्वारा खरीदी गयी इस जमीन पर कोई काम नहीं हुआ,फिर भी प्राधिकरण को अब तक 40.93 करोड़ रुपये का ब्याज देना पड़ा इसी वजह से यीडा को 126.42 करोड़ का नुकसान हुआ।
किन-किन के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा?
इस मामले में यमुना प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता, तत्कालीन तहसीलदार सुरेश चन्द्र शर्मा, संजीव कुमार, सतेन्द्र चौहान, संजीव कुमार, विवेक कुमार जैन, सत्येंद्र जैन, सुरेंद्र सिंह, मदन पाल, अजीत कुमार, जुगेश कुमार, धीरेंद्र सिंह चौहान, निर्दोष चौधरी, गौरव कुमार, मनोज कुमार, अनिल कुमार, स्वातिदीप शर्मा, स्वदेश गुप्ता, सोनाली, प्रमोद कुमार यादव, निधि चतुर्वेदी व कई अन्य अधिकारी भी शामिल हैं।
तत्कालीन बसपा-सपा सरकार के चहेते अफसर
रिटायर आईएएस पीसी गुप्ता की धमक बसपा और सपा सरकार में बखूबी देखने को मिली। चाहे वो ग्रेटर नोएडा हो या यमुना अथॉरिटी। साल 2007 में यूपी में बीएसपी की सरकार बनने के बाद ही पीसी गुप्ता ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में डीसीईओ बनकर आए थे। वह यहां करीब दस साल तक ग्रेटर नोएडा व यमुना अथॉरिटी में तैनात रहे। अपनी ऊंची पहुंच के चलते पीसी गुप्ता सपा-बसपा सरकार में यमुना और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में डीसीईओ, एसीईओ व सीईओ के पद पर बने रहे।