
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में नहीं गए, जिससे अंदर ही अंदर पार्टी और सरकार में गहन मंथन चल रहा है। इसके साथ रुख को भांपकर सहयोगी भी कटाक्ष करने का मौका नहीं चूक रहे हैं।
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि 2017 के चुनाव में पिछड़े वर्ग के लोगों ने भाजपा को बहुत अधिक संख्या में वोट किया था, क्योंकि इस बात की चर्चा थी कि केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। लेकिन अंत में उन्हें नहीं बनाकर योगी को मुख्यमंत्री बना दिया गया। इस बता से बहुत अधिक मतदाता नाराज हो गए हैं। यही सच्चाई है, जिसकी वजह से हम उपचुनाव में सीटें हारते जा रहे हैं।
इसके अलावा हम किसानों के गन्ना के मूल्य का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, जो अत्यंत चिंता का विषय है। वहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट के बेंच बनाने की मांग है, जिसका निपटारा हम चार साल में नहीं पाए तो लोग हमको ही जिम्मेदार ठहरायेंगे। उनका गस्सा तो हमारे ऊपर ही उतरेगा। यही सब वजहें हैं जिनकी वजह से हम चुनाव हारते जा रहे हैं।
दरअसल, सरकार के खिलाफ चुनाव परिणाम यह बताने के लिए काफी होते हैं कि सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। सरकार जनता के भरोसे पर खरी नहीं उतर रही है।
आपको बता दें, अभी पिछले माह की अंतिम तारीख को उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में कुल 14 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आए हैं। जिसमें से उत्तर प्रदेश के नतीजे भाजपा के लिए सबसे चिंताजनक हैं। अभी 15 महीने पहले ही भजपा उत्तर प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में वापसी की है, लेकिन जितने भी उपचुनाव कराये गए हैं, उनमें से केवल एक विधानसभा सीट को छोड़कर किसी भी सीट को बचाने में नाकामयाब रही है।
आमतौर पर यह देखा जाता है कि सरकार के पहले आधे कार्यकाल के दौरान जो उपचुनाव कराये जाते हैं, उनमें से ज्यादातर नतीजे सरकार के पक्ष में आते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में यह उल्टा हो रहा है, जिससे सरकार और सहयोगियों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचती जा रही हैं।
उत्तर प्रदेश में अभी तक तीन लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव संपन्न हुए हैं, जिसमें से लोकसभा की सभी सीटें विपक्षियों के पास चली गई और भाजपा एक भी सीट को नहीं बचा पाई। वहीं विधानसभा की दो सीटों के लिए उपचुनाव कराये गए जिसमें से सरकार ने एक सीट बचाने में कामयाब रही।