
नई दिल्ली/लखनऊ/कैराना। कल उपचुनावों के नतीजे आए हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश की दो सीटें थी। कैराना लोकसभा की सीट और नूरपुर विधानसभा की सीट। दोनों ही सीटें भारतीय जनता पार्टी के पास थीं। पिछले चुनावों में कैराना सीट से ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को मजबूती मिली थी। नूरपुर विधानसभा की सीट भाजपा के कब्जे में थी, यह विधायक की दुर्घटना में असामयिक निधमन के बाद खाली हुई थी।
कैराना में पलायन का मुद्दा उठाकर हुकुम सिंह सांसद बन गए। उन्होंने यह कहा था कि कैराना से हिंदुओं का पलायन हो रहा है। इसके अलावा सपा सरकार के दौरान मुजफ्फरनगर के दंगों की आंच में पूरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश झुलस रहा था। जिसकी वजह से सभी हिंदू एक साथ आ गए और भाजपा की बल्ले-बल्ले हो गई।
लेकिन चार साल बाद हुए उपचुनाव में सभी समीकरण ध्वस्त हो गए। सभी गणित फेल हो गए। गणित बैठाने वाले चाहे जो लोग रहे हों। लेकिन इतना तो तय़ हो गया कि 2019 में भारतीय जनता पार्टी या यूं कहें कि नरेंद्र मोदी के लिए राह आसान नहीं रही। सभी गणित-समीकरण पर अखिलेश और मायावती की जोड़ी भारी पड़ती दिख रही है। बिहार में 2015 में लालू द्वारा बनाया गया विपक्षी एका का समीकरण अब उत्तर प्रदेश में भी सफल होता देखा जा रहा है। लालू यादव ने जब बिहार में यह समीकरण बनाया था तो उस समय में भी बिहार में भारतीय जनता पार्टी चुनाव हार गई थी। अब वही समीकरण उत्तर प्रदेश में कामयाब होता देखा जा रहा है।
कैराना उपचुनाव में भी मुस्लिम और जाट एक साथ आ गए। उन्होंने कहा कि ध्रुवीकरण की राजनीति करने वालों को सबक सिखाना है, क्योंकि ये वादे तो बहुत करते हैं, लेकिन उसको लागू करने में आनाकानी करते हैं। इनके वादों का कोई वजूद नहीं होता है। ये धरातल पर बातें नहीं करते हैं। इनके शासनकाल में महंगाई चरम पर है। डीजल-पेट्रोल के दाम लगाता नईं ऊंचाई पर पहुंचते जा रहे हैं।
आपको बता दें, 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी अपना दल को कुल 73 सीटों पर जीत मिली थी। केवल 7 सीटों पर ही विपक्षी उम्मीदवार जीत हासिल कर पाये थे। जिसमें से दो कांग्रेस और 5 पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार विजयी हए थे। लेकिन भाजपा के रथ को रोकने के लिए अखिलेश और मायावती ने एक साथ आकर जो काम किया है। वह अब पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी के रथ को रोक देगा, क्योंकि अब लोगों के पास एक अच्छा विकल्प मौजूद है। पहले तो भारतीय जनता पार्टी के सामने कोई मजबूत विकल्प ही नहीं था।
अगर भारतीय जनता पार्टी 2014 का इतिहास दोहराना चाहती है तो उसे जमीन पर काम करना होगा। खोखले वादों से काम नहीं चलने वाला है। 9 किलोमीटर सड़क बनाकर 30 किलोमीटर का रोडशो करने से काम नहीं चलने वाला है। दिखावे की राजनीति बंद करके असल काम करना होगा। नहीं चाणक्य के सभी गणित फेल होते हुए नजर आएंगे और यह देश ऐसा है कि जहां पर हर रोज कई चाणक्य जन्म लेते हैं। सरकारों को डिलीवरी सुनिश्चित करनी होगी। जाति-धर्म से ऊपर उठकर लोगों के हितों के लिए काम करना होगा।