सरकार के लिए बेनामी संपत्ति का पता लगाना चुनौतीपूर्ण कार्य होता हैं। लेकिन इसमें अगर लोगों की मदद मिले तो यह बहुत आसान हो जाता हैं, क्योंकि आसपास के लोगों को पता होता है कि कौन बेनामी संपत्ति बना रहा हैं। वहीं सीबीडीटी से जुड़े अधिकारी का मानना है कि गुप्त सूचनाओं के आधार पर बेनामी संपत्तिधारियों को पकड़ना काफी आसान हो जाएगा और इससे पूरे देश में अभियान चलाया जा सकेगा।
जब संपत्ति खरीदने वाला अपने पैसे से किसी और के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है तो यह बेनामी प्रॉपर्टी कहलाती है। अगर खरीदार ने अपने परिवार के किसी व्यक्ति या किसी करीबी के नाम पर भी संपत्ति खरीदी हो तब भी ये बेनामी प्रॉपर्टी ही कही जाएगी अगर व्यकित यह बतानें में नाकाम होता हैं की पैसा कहा से आया हैं।
सीधे शब्दों में कहें तो बेनामी संपत्ति वो होती हैं जिसमें जमीन खरीदने वाला व्यक्ति कानून मिलकियत अपने नाम नहीं रखता लेकिन प्रॉपर्टी पर अपना कब्ज़ा रखता है।
बेनामी संपत्ति की लेनदेन के लिए दोषी पाए गए व्यक्ति को सात साल तक के कैद की सजा हो सकती है और प्रॉपर्टी की बाजार कीमत के एक चौथाई के बराबर जुर्माना लगाया सकता है। 1988 के काननू में जो 2016 में संशोधन किया गया वो इस साल 1 नवंबर से लागू हो गया है। इसके तहत केंद्र सरकार के पास ऐसी प्रॉपर्टी को जब्त करने का अधिकार है।
बेनामी संपत्ति की जानकारी अगर सटीक होती हैं तो मुखबिर को इसका लाभ भी मिलेगा साथ ही उसकी पहचान भी पूरी तरह से गुप्त रखी जाएगी।