
कुत्ते की स्वामी भक्ति के प्रमाण व कहानियां पुराणों से लेकर जगह जगह पढ़ने ओर देखने को मिलती है इतना ही नहीं फिल्में भी इससे अछूती नहीं रही है, लेकिन ठीक इसके विपरीत आज आवारा कुत्ते के हमलों ने इनकी मनुष्य प्रेम व स्वामी भक्ति को संदिग्ध ही नहीं बनाया बल्कि चिंता का विषय भी बना दिया है प्रदेश में आवारा कुत्तों का आतंक इतना है कि इन आवारा कुत्तों ने किसी को काटा तो किसी को नोचा और किसी किसी को तो मौत के घाट उतार दिया। प्रदेश में आवारा कुत्तों के हमले की तादाद प्रतिदिन हजारो तक पहुंच चुकी है अकेले गाजियाबाद जिले में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 300 से 400 लोगों को आवारा कुत्ते अपना शिकार बना रहे हैं पेश है गाजियाबाद से हमारे संवाददाता की एक विशेष रिपोर्ट।
बच्चे कुत्तों से बहुत डरते हैं आवारा कुत्ते के हमले भी इन्हीं पर ज्यादा होते हैं लेकिन बच्चे बूढ़े और जवान किसी को भी आवारा कुत्ते अपना शिकार बनाने से नहीं चूकते। ऐसा नहीं है कि आवारा कुत्ता अकेला ही हमला करता है कहीं-कहीं तो यह संख्या में एक दर्जन तक एक साथ हमला करते हैं जैसे की इस महिला ने बताया एक व्यक्ति को उन्होंने अपना शिकार बनाया |जिला अस्पताल प्रभारी से जब हमारे संवाददाता ने बात की तो उन्होंने क्या बताया आप स्वयं देखिए
इस सब के विषय में सीएमएस गाजियाबाद ने भी जिले के विषय में तो बताया ही साथ ही साथ प्रथम उपचार की जानकारी भी दी
तो आप नोट करे कुत्ते के काटने के बाद आपको क्या क्या उपचार करना है शहरी क्षेत्र में आवारा कुत्तों को पकड़ने का जिम्मा नगर निगम का होता है इसी पर जब नगर आयुक्त गाजियाबाद से बात की गई तो उनका यह कहना था।नगर आयुक्त ने बताया कि निगम ने दो NGO को आवारा कुत्तो को पकड़ने का काम दिया हुआ है और सभी सुविधाएं भी मुहैया कराई गई है लेकिन जब हम पीपल फॉर एनिमल्स गए तो वहां के एनजीओ केयर टेकर ने बताया कि हम तो केवल कुत्तों का इलाज करते हैं और जब वह ठीक हो जाते है तो फिर उन्हें वापस छोड़ दिया जाता है
यहां सबसे बड़ा झोल यह है कि नगर आयुक्त कहते हैं कि यह संस्था कुत्ते पकड़ने का काम करती है लेकिन एनजीओ का कहना है कि वह केवल घायल कुत्तों का इलाज करते हैं और उनकी नसबंदी करने के बाद फिर उनको वापस छोड़ देते है तो यह बेझिजक कहा जा सकता है कि प्रतिदिन हजारो रूपये खर्च करने के बाद भी आवारा कुत्तो का आतंक जिले में कम होता नहीं दिख रहा है, प्रशासन को कुछ दिखता नहीं है और जब नेताओ को शिकायत करते हैं तो वो शिकायतों को अनसुनी कर देते है मतलब यह कि जब तक किसी को कुछ दिखता नही देगा और सुनाई नहीं देगा तब तक ये समस्या यू ही बरकरार रहेगी और बेचारी जनता अपने हाल पर जीने को यू ही मजबूर रहेगी
[हिन्द न्यूज टीवी के लिए गाजियाबाद से रमन शर्मा की रिपोर्ट]