देश में जब किसी महिला के साथ कोई घटना होती है तो उसके पीछे उसकी कुत्सित सोच मानसिकता प्रभावी होती है. मानसिकता सुधारने में समाज की भी निष्पक्ष भूमिका होनी चाहिए. निर्भयाकांड के वर्षों बीत जाने के बाद भी महिला उत्पीड़न, रेप,दहेज जैसे कुकृत्यों पर लगाम नही लग पा रही