आज बुकंकरे सिद्दालिंगप्पा येदियुरप्पा ने कर्नाटक के सीएम पद की शपथ ले ली है, उनको तीसरी बार कर्नाटक की सत्ता की चाबी मिली है। वहीं इससे पहले बुधवार शाम को राज्यपाल वजुभाई ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्यौता भेजा। जिसके बाद बुधवार रात को कांग्रेस ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कांग्रेस की ये कोशिश भी बेकार गई और फिलहाल के लिए कोर्ट ने फैसला बीजेपी के पक्ष में दिया। वहीं हम आपको बताएंगे कि आखिर कौन हैं येदियुरप्पा जिनका नाम कर्नाटक के राजनीतिक गलियारों में गूंजता है।
येदियुरप्पा को कर्नाटक की राजनीति में अहम भूमिका निभाने के साथ-साथ लिंगायत का समर्थन प्राप्त नेता भी माना जाता है। वहीं कुछ समय पहले उन्होंने भाजपा का दामन छोड़कर अपनी खुद की अलग पार्टी बनाई, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बिना किसी शर्त के अपने दल ‘कर्नाटक जनता पक्ष’ का विलय उन्होंने बीजेपी में कर दिया। बात अगर इनके शुरुआती जीवन की करें तो 27 फरवरी 1943 को मांड्या जिले के बुक्कनकेरे में येदियुरप्पा का जन्म हुआ। येदियुरप्पा का नाम येदियुर स्थान पर स्थित शैव मंदिर के नाम पर रखा गया था, ये मंदिर संत सिद्धलिंगेश्वर के द्वारा बनाया गया था। 1965 में वो समाज कल्याण विभाग के प्रथम श्रेणी के किरानी चुनें गए, लेकिन येदियुरप्पा ने शिकारीपुर जाकर वीरभद्र शास्त्री चावल मील में किरानी की नौकारी की।
वहीं येदियुरप्पा ने 1967 में वीरभद्र शास्त्री की बेटी मौत्रादेवी से विवाह किया। साथ ही उन्होंने हार्डवेयर की दुकान भी खोली। 2004 में येदियुरप्पा को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब एक दुर्घटना में उनकी पत्नी का निधन हो गया। वहीं आरोपों से भी उनका गहरा नाता रहा। येदियुरप्पा पर खनन घोटाले से लेकर 2010 में अपने बेटों को जमीन आवंटित करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगा था। हालांकि, कोर्ट ने उन्हें इन मामलों में राहत दे दी है। वहीं इन सबके बीच वो 3 बार कर्नाटक के सीएम बने और कर्नाटक की सत्ता पर राज किया। पहले 2006-07, फिर 2008-11 और अब 2018 में एक बार फिर येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने हैं। हालांकि अब इस मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार सुबह 10:30 बजे होगी। जहां बीजेपी से कोर्ट ने समर्थक विधायकों की लिस्ट समेत उस पत्र को भी मांगा है जो समर्थन पत्र राज्यपाल को दिया गया है।