वाराणसी में हुये हादसे से पूरा देश आहत है पर जनपद ग़ाज़ीपुर के सहेड़ी गाँव के एक परिवार की तो दुनिया ही उजड़ गयी। नंदगंज थाना क्षेत्र के सहेड़ी गांव के रहने वाले खुशहाल राम अपने बेटे संजय के इलाज के लिए अपनी बोलेरो गाड़ी से वाराणसी गये हुए थे साथ मे खुशहाल राम के दूसरे बेटे शिवबचन राम जो की सिचाई विभाग में कर्मचारी थे, ड्राइवर वीरेंद्र के साथ वाराणसी के कैंसर अस्पताल गये हुए थे। ग़ाज़ीपुर वापस लौटते समय, हादसे के वक्त उसी पुल के पास उनकी गाड़ी खड़ी थी तभी पुल का एक हिस्सा उनकी बोलेरो गाड़ी के ऊपर गिर गया और मोके पर ही तीनो की मौत हो गई।
बेटे के ईलाज की उम्मीद में वाराणसी पहुँचे खुशहाल राम ने ये सपने में भी नही सोचा होगा की वो अपने घर वापस लौट ही नही पाएंगे। संजय का वाराणसी के कैंसर अस्पताल में इलाज चल रहा था इस वजाह से ये लोग वाराणसी गये हुये थे। संजय की कीमोथेरपी चल रही थी। कीमोथेरेपी के बाद ये लोग ग़ाज़ीपुर वापस लौट रहे थे और तभी उसी पुल के पास उनकी गाड़ी खड़ी रूकी और पुल का हिस्सा उनकी गाड़ी के ऊपर गिर गया और गाड़ी में सवार खुशहाल राम(रिटायर्ड शिक्षक) और उनके दो पुत्रों शिवबचन राम और संजय राम की मौत हो गयी।
जिस बोलेरो गाडी से ये लोग वाराणसी गए थे और हादसे का शिकार हो गए वो गाडी संजय चलाता था और उसी से अपना जीवन यापन करते था।माना जाए तो वाराणसी का वो पुल इस परिवार की खुशीयों पर टूट पड है। संजय और शिवबचन की पत्नी और 10 वर्षीय बच्चे का रो रोकर बुरा हाल है साथ ही पूरा परिवार सदमे से नही उबर पा रहा है। संजय की पत्नी और उनका बेटा और साथ ही पूरा परिवार घटना के लिये सरकार को दोषी मान रहा है। परिवार के लोगों का कहना है कि दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिये।
वाराणसी में हुए हादसे में जनपद ग़ाज़ीपुर के नंदगंज थाने के मुड़वल गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह यादव की भी मौत हो गयी है। वीरेंद्र उसी बोलेरो गाड़ी को चला रहे थे जिसमें वीरेंद्र के साथ सहेड़ी निवासी ख़ुशहाल राम और उनके दो पुत्र संजय औऱ शिवबचन सवार थे। ये सभी हादसे के वक्त उस फ्लाई ओवर के पास ही थे जिसका एक हिस्सा गिरने से ये भयानक हादसा हुआ जिसमे इन चारों की मौत हो गयी। वीरेंद्र अपने माँ बाप का इकलौता पुत्र था और वीरेंद्र का एक चार मासूम बच्चे भी हैं जिनमे एक लड़की 8 साल की और तीन पुत्र जिनकी उम्र 12 साल 5 साल और 3 साल है।
वीरेंद्र के बूढ़े पिता केदार सिंह यादव की आंखें इस हादसे के बाद पथरा सी गयी हैं। पत्नी धनावती का रो रोकर बुरा हाल है और माँ नेवाती की आंखें भी अपने बेटे की राह देख रही हैं।अपने चार बच्चों और माँ बाप एक मात्र सहारा वीरेंद्र इस भयानक हादसे में इन सबसे दूर चला गया। अब सरकार इस पर क्या कदम उठाती है ये तो बाद कि बात है पर ग़ाज़ीपुर के दो परिवारों का तो संसार ही इस हादसे में उजड़ गया।
हिन्द न्यूज के लिए ग़ाज़ीपुर से सुनील सिंह