बेंगलुरू। कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और नेता विधायक दल बीएस येदियुरप्पा ने बुधवार को कहा कि उन्होंने राज्यपाल वजूभाई रुडाभाई वाला को पत्र सौंप दिया है और उम्मीद कर रहे हैं कि राज्यपाल महोदय उचित फैसला लेंगे।
पार्टी ने मुझे विधायक दल का नेता चुना है। मैंने राज्यपाल को पत्र सौंप दिया है और मैं उम्मीद कर रहा हूं कि वे मुझे सरकार बनाने के लिए बुलाएंगे। राज्यपाल ने मुझसे कहा कि वे उचित फैसला लेंगे। गवर्नर से पत्र प्राप्त करने के बाद मैं इसकी जानकारी सभी के साथ साझ करूंगा।
इससे पहले बुधवार को येदियुरप्पा ने कहा था कि उनकी पार्टी राज्य में सरकार बनाने का दावा करेगी।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कांग्रेस-जनता दल (धर्मनिरपेक्ष) गठबंधन को भी अस्वीकार कर दिया और कहा कि कर्नाटक के लोग राज्य में भाजपा सरकार चाहते हैं।
मंगलवार की शाम को कर्नाटक विधानसभा चुनावों के नतीजे आए हैं जिसमें भारतीय जनता पार्टी को 104 सीटें मिली हैं, जो कि सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। वहीं, जबकि कांग्रेस और जेडी (एस) ने क्रमश: 78 और 37 सीटें जीतीं हैं।
चुनाव परिणाम आते ही बिना किसी देरी के कांग्रेस ने यह घोषणा कर दी कि वह जेडी (एस) का समर्थन करेगी। जिससे उनके पास कुल 117 सीटें हो जाएंगी।
उधर, कांग्रेस और जेडीएस के विधायक समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर कर रहे हैं जो राज्यपाल को सौंपा जाना है।
चूंकि राज्य में मतदान के नतीजों में खंडित जनादेश मिला है। तो अब अंतिम निर्णय राज्यपाल, वाजूभाई रुडाभाई वाला को लेना है। सभी की नजरें राज्यपाल के फैसले पर लगी हुई हैं। संवैधानिक प्रावधान के तहत राज्य की सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्यौता मिलना चाहिए। लेकिन कई राज्यों में राज्यपाल ने ऐसा नहीं किया है।
गोवा, मणिपुर और बिहार में सबसे बड़ी पार्टी को नहीं मिला है न्यौता
गोवा में राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका नहीं दिया। वहां पर भाजपा को न्यौता भेजा गया जो दूसरे नंबर पर थी। वहीं बिहार में राजद के सबसे बड़ी पार्टी होने पर जदयू और भाजपा को सरकार बनाने का मौका दिया गया। जबकि संवैधानिक प्रावधान के तहत इन राज्य में सबसे बड़ी पार्टियों को सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए। इसी तरह से मणिपुर में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन उसको सरकार बनाकर बहुमत साबित करने का मौका नहीं मिला। वहां पर यह कहकर खारिज कर दिया गया कि यह राज्यपाल के विवेक पर है कि वह किसकी बात से ज्यादा सहमत होते हैं कि कौन सी पार्टी राज्य में स्थायी सरकार देने में कामयाब हो पाएगी।
उपरोक्त बातों पर अगर ध्यान दिया तो यह बात निकलकर सामने आती है कि जिसके पास समर्थन पत्र है, उसे ही सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए। फिलहाल राज्यपाल के फैसले का इंतजार करना होगा।