जौनपुर। पूर्व सांसद उमाकांत यादव को आज एक बार फिर बसपा सुप्रीमो मायावती ने गले लगा लिया है। वाराणसी-आजमगढ़ के जोनल को आडिनेटर रामकुमार कुरील ने नगर के एक होटल में सैकड़ों कार्यकर्ताओ के सामने ऐलान किया। उन्होने उमाकांत के साथ उनके पुत्र दिनेशकांत को भी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करायी।
उमाकांत यादव पहली बार सन् 1991 चुनाव में बसपा से खुटहन विधानसभा से चुनाव जीतकर विधायक बने थे। 1993 विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा गंठन से दूसरी बार इसी विधानसभा के चुनाव जीते थे। 1996 चुनाव में उमाकांत ने पार्टी बदलकर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये। इस बार वे चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाया था। उसके बाद किसी मामले को लेकर उमाकांत यादव की मुलायम सिंह यादव से अनबन होने के कारण उन्होंने पार्टी को छोड़ दिया। 2002 विधानसभा चुनाव में उमाकांत ने जनता दल यू-भाजपा गठबंधन बैनर तले चुनाव लड़े थे, यह चुनाव उमाकांत बसपा प्रत्याशी शैलेन्द्र यादव ललई से हार गये। 2004 लोकसभा चुनाव में उमाकांत यादव पुनः हाथी पर सवार हो गये। मायावती ने उन्हे मछलीशहर सीट पर प्रत्याशी बनाया था।
यह चुनाव उमाकांत वर्तमान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल व भाजपा प्रत्याशी केशरीनाथ त्रिपाठी को बुरी तरह से हराकर पहली बार सांसद चुने गये थे। 2007 विधानसभा चुनाव में मायावती ने उनके पुत्र दिनेशकांत यादव को खुटहन विधानसभा से प्रत्याशी बनाया । लेकिन बसपा के बागी ओमप्रकाश उर्फ बाबा दुबे ने उन्हें चुनाव हरा दिया। 2007 में यूपी में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद उमाकांत यादव पर आजमगढ़ जिले के सरायमीर में एक मकान कब्जा करने का आरोप लगा। जिसके कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती नाराज होकर उन्हे अपने आवास पर बुलवाकर पुलिस के हवाले कर दिया था। जेल जाने के बाद भी उमाकांत का बसपा से मोहभंग नही हुआ था। वे मीडिया से बातचीत में हमेशा अपने आपको बसपा का सच्चा सिपाही बताते थे। जेल से निकलने के बाद भी मायावती ने उन्हें पार्टी में शामिल नही किया, तो वे राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हो गये।
आज एक बार फिर मायावती ने उन्हे पार्टी में शामिल कर लिया। इसकी अधिकारिक घोषणा पार्टी के वाराणसी-आजमगढ़ के जोनल कोआडिनेटर रामकुमार कुरील ने आज नगर के एक होटल की।