गोरखपुर मेले में अपने परिवार से बिछड़ा एक किशोर 72 महीने तक गोरखपुर के एक होटल में बंधक बनकर काम करता रहा | 6 साल बाद किशोर किसी तरह भागकर मुरादाबाद पहुंचा तो अपनी आपबीती बताई तो सुनने वाले भी हैरान रह गए |यह मामला सन 2012 का हैं | जब राजधानी दिल्ली का रहने वाला आयुष नाम का किशोर गोरखपुर में अपने परिवार के साथ गोरखधाम मंदिर आया था | गोरखपुर के मेले में अपने परिवार से बिछुड़ गया और रस्ते में मिले कुछ लोगों ने उसे उसके परिवार से मिलाने के नाम पर एक होटल मालिक को सौंप दिया जहाँ होटल मालिक ने आयुष को बंधक बनाकर रखा |उससे बर्तन साफ़ कराना शुरू कर दिया, होटल मालिक आयुष को सुबह के नाश्ते में नशीली दवाई देता था और उसके काम न करने पर वो उसकी डंडों से पिटाई भी करता था | कभी कभी होटल मालिक उसे जला भी देता था जिसके गवाह उसके शरीर के कई जगह चोट और जले के निशान है जो बिना कहे ही उसकी आपबीती सुनाते हैं | करीबन 6 साल बाद बंधक आयुष ने मौका पाकर होटल की खिड़की के शीशे तोड़कर भागकर ट्रेन में बैठकर रामपुर रेलवे स्टेशन पहुँच गया, जहाँ, उसे एक व्यक्ति ने मुरादाबाद के लोकोशेड के पास स्थित दुकानदार आमिर को सौंप दिया। जब आमिर ने आयुष की बात सुनी तो आमिर ने बाल कल्याण की मजिस्ट्रेट सदस्य नीतू सक्सेना को इसकी सूचना दी। नीतू सक्सेना ने अपनी टीम को भेजकर आयुष को अपने सुपुर्द लेकर जिला अस्पताल में आयुष का मेडिकल कराकर आयुष को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया | वहीँ जब आयुष से पूछताछ की गई तो अपना नाम आयुष ओर दिल्ली का रहने वाला बताया है उसकी माँ का नाम शांति देवी और पिता का नाम अभय सिंह हैं और 2012 में दिल्ली राम किशन पब्लिक स्कूल में 7 वी क्लास का छात्र था। आयुष ने बताया कि वह 2012 में राम किशन पब्लिक स्कूल में 7 वी क्लास का छात्र था। ओर अब वह अपने माता पिता से मिलने की बात कह रहा है । आयुष को अपने घर का पूरा पता अब याद नहीं हैं लेकिन पूछने पर उसने बताया कि उसका घर दिल्ली में इंडियल ऑयल के पास हैं | जब आयुष से होटल के बारे में पुछा गया तो उसे होटल के न तो मालिक का नाम पता था और न ही होटल का | एक ओर जहाँ हमारे देश मेंबच्चों को भगवान् का रूप माना जाता हैं फिर भी इसके बावजूद कुछ लोग इंसानियत की सारी हदें पारकर बच्चों पर जुर्म करने से पीछे नहीं हटते हैं | वहीँ, दूसरी ओर देश के संविधान में बच्चों से मजदूरी करना जुर्म हैं उसके बावजूद इस होटल मालिक जैसे लोग बच्चों से उनका बचपन छीनकर न सिर्फ उनसे मजदूरी कराते है बल्कि उनका शोषण करने से भी पीछे नहीं हटते| आखिर आयुष का क्या यही दोष था कि वो अपने माता पिता से एक मेले में बिछड़ गया जिसकी सजा उसे इतने सालों तक मजदूरी करके और बंधक बनकर देनी पड़ी | क्या हमारे देश और राज्य की सरकारों को ऐसे होटल मालिक जैसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए |
हिन्द न्यूज़ टीवी के लिए मुरादाबाद से नवनीत चौहान