भले ही अगला विश्व युद्ध पानी के लिए ना हो, लेकिन दमोह में पानी की इतनी किल्लत है कि, दो बूंद पानी के लिए मासूम बच्चे हर रोज अपनी जान की बाजी लगाते हैं । आपको बता दें दमोह जिले के जबेरा जनपद अंतर्गत आने वाले हरदुआ मानगढ़ में सुबह होते ही शुरू हो जाती है, पानी के लिए जद्दोजहद 700 से अधिक आबादी वाले इस गांव के लिए मुख्य पानी का स्रोत एक कुआं है, जहां पानी खत्म हो चुका है, फिर भी अपने सूखे कंठों की प्यास बुझाने के लिए कुए के अंदर बच्चे थोड़े से पानी को निकालने के लिए मासूम बच्चे रस्सी के सहारे इस कुएं में उतरते हैं, और चंद पानी की बूंदे अपने बर्तन में लाकर अपने और अपने परिजनों की प्यास बुझाते हैं ।
यह सिर्फ एक-दो दिन की नहीं बल्कि हर रोज की बात है, ऐसा नहीं है कि, इस खतरनाक खेल में कभी किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है, इसी साल दो बच्चे बुरी तरह से इसी जद्दोजहद में घायल हो चुके हैं, लोगों की माने तो आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी इनके गांव के लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं, यहां पर पानी के दूर-दूर तक कोई संसाधन नहीं है, यहां एक मात्र कुंआ ही पानी का जरिया है, इस इलाके के लोग अपना जीवन बसर करते हैं ।
ऐसा भी नहीं कि, ग्रामीणों ने इस बारे में आला अधिकारी से शिकायत नहीं की, लेकिन शिकायत के बाद भी आजतक इनके इलाके में पानी की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई, जो मासूम बच्चे पानी में कुएं में उतर कर अपनी जान जोखिम में डालते हैं, उनका कहना है कि, जब वो कुएं में उतरते हैं तो, उन्हें काफी डर लगता है कि, कहीं वो गिर ना जाए, कहीं इनके हाथ पैर न टूट जाए, लेकिन क्या करे ये मासूम, ये मजबूर है, अपनी और अपने अपनो की प्यास बूझाने के लिए इस मौत के कुएं में उन्हे उतरना पड़ता है,
देश को आजादी के 70 साल बीत चुके हैं, लेकिन इन सबके बावजूद कुछ ऐसी भी जगह हैं, जो आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए रोज जंग लड़ रहे हैं, क्या इस सुरत में वाकई हम विकसित भारत की कल्पना कर सकते हैं ।
दमोह मध्य प्रदेश से हिंद न्यूज टीवी के लिए दीपक सेन की रिपोर्ट