नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी उच्च न्यायालयों को यौन अपराधों [POCSO] अधिनियम के मामलों के खिलाफ बच्चों के सभी संरक्षण की निगरानी और विनियमन करने के लिए समर्पित समिति का गठन करने का निर्देश दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशक को भी यह सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष कार्य बल बनाने के निर्देश दिए हैं. जिससे कि सख्त जांच की जा सके।
21 अप्रैल को केंद्रीय मंत्रिमंडल के साथ नाबालिगों के साथ बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के चलते POCSO अधिनियम में एक संशोधन को मंजूरी दी है, जिससे 12 साल से कम उम्र के बच्चों के बलात्कारियों को मौत की सजा को दी सके।
आपको बता दें, इन दिनों पूरे देश में बलात्कार की घटनाएं गलातार बढ़ती जा रही हैं। जिसको लेकर देश भर में प्रदर्शन किए गए हैं और राजनीतिक पार्टियों ने कैंडल मार्च भी निकाला। ताकि पीडि़ताओं को न्याय मिल सके।
जिसके बाद केंद्र सरकार पर दबाव देखा गया और केंद्रीय कैबिनेट ने इस बात की मंजूरी दी कि 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार देने वालों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए।
अभी हाल की कठुआ और उन्नाव की घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। कठुआ में एक आठ साल की बच्ची के साथ मंदिर में बलात्कार करके उसको जान से मार दिया गया। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर करके रख दिया।
वहीं, उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में भाजपा के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने का आरोप लगा, जिसकी कई माह तक एफआईआर तक नहीं दर्ज की गई। मामला जब मीडिया में आया तो उत्तर प्रदेश सरकार के आला अधिकारियों ने यह कहते हुए मना कर दिया कि विधायक जी पर कोई आरोप नहीं है, जिससे उनको गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के हस्तक्षेप और मीडिया को दबाव में आकर उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले में सीबीआई जांच को मंजूरी दे दी। उसके बाद विधायक को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया। विधायक की गिरफ्तारी के पहले पीडित परिवार पर केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा था। केस वापस नहीं लेने पर दबंग विधायक के भाई और उसके गुर्गों ने पीडि़ता के पिता को आर्म्स ऐक्ट में जेल भेजवा दिया। जहां पर पुलिस ने और दबंगों ने पीडि़ता के पिता की इतनी अधिक पिटाई कि उसके शरीर में गहरे चोट के निशान देखे गए, जिससे उसकी मौत हो गई।