गांधीनगर (गुजरात)। डॉ भीमराव अंबेडकर को लेकर राजनीति की गर्माहट कम नहीं हो रही है। अब गुजरात विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी ने रविवार को डॉ अंबेडकर को ‘ब्राह्मण’ बताया है। उन्होंने कहा है कि किसी ज्ञानी व्यक्ति को ब्राह्मण कहकर बुलाए जाने में कुछ भी गलत नहीं है।
गांधीनगर में ‘मेगा ब्राह्मण बिजनेस शिखर सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए त्रिवेदी ने कहा कि मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि बीआर अम्बेडकर एक ब्राह्मण हैं। किसी भी व्यक्ति को एक ब्राह्मण को बुलाए जाने में कुछ भी गलत नहीं है। उस संदर्भ में, मैं कहूंगा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी ब्राह्मण थे।
भारतीय संविधान के निर्माता बीआर अंबेडकर का जन्म दलित परिवार में हुआ था।
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दलित बौद्ध आंदोलन के पीछे आदमी, अम्बेडकर ने अस्पृश्यता के खिलाफ अभियान चलाया कि दलितों के अधीन थे। उन्होंने महिलाओं और मजदूरों के अधिकारों के लिए भी लड़ा।
गौरतलब है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर को प्यारे से लोग उन्हें बाबासाहेब कहते है। ख़राब आर्थिक स्थिति व सामाजिक भेद-भाव का सामना करते हुए उन्होंने बहुत ही कठिन हालातो से गुजरकर अपनी पढ़ाई की और कानून के ज्ञाता बने तथा स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। जीवन के आखरी पड़ाव मे उन्होने बौद्ध धर्म अपना लिया था।
अंबावडे नाम के छोटे से गांव के रहवासी अंबेडकर को महार जाति का होने के कारण पढ़ाई में बहुत मुश्किलें आई। महाभारत काल में कौरवों के त्रास के कारण अर्जुन को चरण पादुका के पास बैठकर पढ़ना पड़ता उसी तरह बाबासाहेब को भी कक्ष के बाहर बैठकर पढ़ना पड़ा। उनकी तरफ शिक्षक तिरस्कार से देखते, चपरासी भी उनसे दूर रहते। शाला में जब पानी पीने की इच्छा होती तब कोई लड़का या चपरासी पानी ऊंचे से गिराकर पिलाता तभी पानी पी सकते अन्यथा पूरे दिन प्यासा रहना पड़ता।
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