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नोएडाः प्रेरणा जनसंचार में दस दिवसीय आयोजित ‘पत्रकारिता में रचनात्मकता ’ का विषय

नोएडाः प्रेरणा जनसंचार में दस दिवसीय आयोजित ‘पत्रकारिता में रचनात्मकता ’ का विषय

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रचनात्मकता के बिना जीवन अधूरा है। हमारे कार्यों में इसका प्रतिविम्व रूप झलकता है और यह हमारे मन की कल्पना का ही एक रूप होती है। लेखन में जब यह उतरती है तो जीवंतता का रूप ले लेती है। रंगों के माध्मयम के जब यह कागज पर उकेरी जाती है तो यह पाठकों के मन में उतर जाती है। ये विचार शुक्रवार को सेक्टर-62 स्थित प्रेरणा जनसंचार एवं शोध संस्थान व प्रेरणा शोध न्यास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘संचार एवं मीडिया कौशल’ विषयक दस दिवसीय कार्यशाला के आठवें दिन ‘पत्रकारिता में रचनात्मकता’ विषय पर बतौर मुख्य वक्ता पांचजन्य के सम्पादक हितेश शंकर ने व्यक्त किए। श्री हितेश शंकर ने बताया कि विचारवान व्यक्ति को कलावान भी होना चाहिए। आज के समय में रचनात्मकता चुनौती पूर्ण है। पत्रकारिता विचारों की कला पक्ष होती है और आपकी रचना ऐसी हो कि आपके पाठकों को आकर्षित करें। आपके द्वारा लिखी गई सामग्री की झलक आपके पत्र या पत्रिका के कवर पेज पर दिखनी चाहिए। उन्होंने बताया कि आपको सीमित संसाधनों में ही रचनात्मक कार्य करना है। रचनात्मकता के बिना खबर, स्टोरी या लेखपाठकों को पसंद नहीं आता। आपको शब्द चित्र खींचना आना चाहिए। शीर्षक लगाना भी एक कला है। आपको अपनी बंधी-बंधाई सोच से आगे निकलना होगा। स्टोरी को जो भी शीर्षक दे रहे हैं, उसको सही स्थान दें। उन्होंने देश और विदेश की कई पत्र-पत्रिकाओं के शीर्षक भी दिखाए और उनके बारे में विस्तार से प्रतिभागियों को बताया। चित्र और रंग संयोजन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि रंगों की अपनी दुनिया होती है। यह दुनिया निराली होती है। लेकिन, एक ही तरह के रंगों के चित्र पाठकों को लंबे समय तक बांधते नहीं हैं। आपको इससे परे जाना होगा। चित्रों में जीवंतता होनी चाहिए और विषयवस्तु से मेल खाने चाहिए। श्री हितेश शंकर ने बताया कि एक चित्र हजार शब्दों को बयां करता है और पाठक शब्दों और चित्रों के माध्यम से ही घटना को सजीव रूप में अपने दिमाग में उतारते हैं। चित्र हमारे अवचेतन मन पर सीधा असर करते हैं। जड़ता में जीवंतता नहीं होती है और जीवंतता में ही जीवन की धारा छिपी होती है। इसी सत्र में कवयित्री नीता गुप्ता ने प्रतिभागियों को गायन की उपयोगिता बताईं। उन्होंने बताया कि सुव्यवस्थित ध्वनि, जो रस की सृष्टि करे, संगीत कहलाती है। संगीत मानव के लिए उतना ही आवश्यक है जितना कि भोजन। इसके बाद उन्होंने अपनी रचनाएं सुनाईं। साथ ही, प्रतिभागियों ने भी स्वरचित रचनाएं सुनाई। इसके बाद प्रतिभागियों ने ‘डी डी न्यूज़’ चैनल का भ्रमण किया। अतिथियों का स्वागत व आभार दिवस प्रमुख डा. प्रदीप कुमार जी ने तथा अलग-अलग सत्रों का संचालन स्मृति सिंह ने किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर जी, वर्गाधिकारी शिव प्रताप जी, रवि श्रीवास्तव जी सहित कई लोग उपस्थित रहे।

हिन्द न्यूज टीवी के लिए नोयडा से हरीश कुमार

 

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