वरिष्ठ पत्रकार आसमोहम्मद कैफ़
ए ऐ फूलन……………..
फूलन तालाब से बाहर निकल कर आती है ,जिस्म पर बस एक नेकर होता है , बाबा के बुलाने पर घर से उसे फरमान मिलता है कि उसकी शादी तय कर दी गई है अब उसे अपने पति के साथ रहना है ,फूलन 9 की और पति लगभग चार गुना ज्यादा , फूलन को उसके इस पति ने पहली बार अत्याचार से रूबरू कराया था , बाद में फूलन ने खुद इसे मारा था ,10 अगस्त को फूलन पैदा हुई थी ,26 जोलाई को मार दी गई ,
हॉलीवुड के निर्देशक शेखर कपूर ने फूलन पर बैंडिट कवीन नाम से फिल्म बनाये ,हम बात करते है ! फूलन क्या है ! फूलन जात -पांत की कुढ़न से निकली दरिंदगी का प्रतिकार है ,बदला भी कहते है इसे।15 साल की फूलन से इससे ज्यादा लोगो ने बलात्कार किया , इस घटना को आज के परिदृश्य में रखिए ,अब क्या हो सकता है , यक़ीनी तौर विकासशील होता समाज इन सभी को फांसी पर लटकाने के लिए मुहिम छेड़ देगा और हर इंसान बलात्कारियों से घृणा करेगा ,निर्भया के मामले में देख लीजिये , फूलन के साथ एक दर्जन से ज्यादा लोगो ने बलात्कार किया ,सामूहिक किया , जश्न मनाकर किया , उसका गुरूर चूर चूर करने के लिए उसे सबक सिखाने की नीयत से किया , उसका गुरूर क्या था , औरत होना , वो अपनी मर्जी के बिना किसी मर्द को अपने जिस्म को हाथ नही लगाने देगी यह ! या वो थोड़ी सी आज़ाद ख्याल थी , बिंदास , अपनी जिंदगी पर अपना हक समझने वाली औरत , आधुनिक युग की किसी ऐसी औरत पर ‘हाथ डालने’ की हिम्मत कोई कर सकता है ,
फूलन ने जमीन के झूठे नीति निर्धारकों को ‘सलाम ‘ करने से इंकार कर दिया और उसे सामूहिक रूप से रौंद दिया गया , आप किस सभ्यता में यह कल्पना करते है कि इस दरिंदगी को अंजाम देने वाले राक्षसों को नायक समझा जाये ,मगर ऐसा हुआ ,बलात्कार पीड़िता घृणा का पात्र बनी और बलात्कारी गौरवशील अभिमानी और विजेता सवाल यह है कि समाज ने इन बलात्कारियों से नफरत क्यों नही की ! नफरत फूलन से क्यों की ! कानून के हाथ किससे बंधे थे ,इंसाफ क्यों नही हुआ ! दीवार जाति की थी या गरीबी की ! जब कानून चौधराहट की चौखट पर नतमस्तक था तो फूलन ‘देवी ‘बन गयी , अगर समाज और कानून फूलन को न्याय के लिए गम्भीर प्रयास करते तो बेहमई में फूलन आग बनकर न बरसती , लाइन में खड़े कर 22 को खुद फूलन ने अपने हाथ से गोली मारी ,औरते के आंचल में छिप गए सामूहिक बलात्कार कर मर्दानगी दिखाने वाले को गिरेबान खींचकर बाहर निकाल उसी जगह ले जाकर प्रतिकार हुआ , बेहमई हुआ तो दुनिया जाग उठी ,फूलन को रौंदा गया था तो सब सो रहे थे , कानून कहता है कि अगर औरत की इज़्ज़त लूटते वक़्त वो किसी की जान ले लेती है तो औरत पर क़त्ल का मुकदमा दर्ज नही किया जायेगा , फूलन की बस टाइमिंग का फ़र्क़ है , 26 जोलाई को जब फूलन के मार दिया गया तो कहा गया कि बेहमई कांड का बदला लिया गया , फूलन को मारने वाला शेर सिंह राणा आज ठाकुरो का नायक है , बेहमई का बदला फूलन की मौत है तो फूलन की बेइज्जती का बदला क्या है ! क्यों फूलन के बलात्कार की निंदा नही होती ! क्यों वो बलात्कारी नायक थे !
जब अन्याय’ न्याय ‘ की इज्जत लूटता है तो फूलन पैदा होती है , अगर समाज न्यायप्रिय ना हुआ तो फूलन फिर पैदा होगी !