सूबे में योगी सरकार जहां शिक्षा को बढावा देने के लिए सरकारी स्कूलों में बच्चों को मुफ्त किताब , बैग, स्कूल ड्रैस ,जूते देने का घोषणा की गई और सरकार की तरफ से दिया भी गया लेकिन योगी सरकार की इस योजना को एक साल भी नहीं हुआ की भ्रष्टाचारियों ने अपना खेल खेल दिया। दरअलस प्राइमरी स्कूलों में कुछ ही महीने पहले बच्चों को दिए गए जूते फटने लगे ये किसी एक या दो बच्चों के साथ नहीं हुआ बल्कि लाखों बच्चो के साथ हुआ है । जिसके बाद सप्लाई करने वाली कम्पनियों पर सवाल उठने लगे हैं । असल में योगी सरकार ने 266 करोड़ रुपये में 1 करोड़ 54 लाख छात्रों को जूते देने का टेंडर किया गया जिसके बाद तीन कंपनियों को सप्लाई करने की जिम्मेदारी दी गई इसमे से अधिकतर सप्लाई पावरटेक इलेक्ट्रो इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने जिम्मेदारी ली। लेकिन जांच के बाद पता चला कि ऐसी कंपनी जूते की मैन्युफैक्चरिंग करती ही नहीं और इस कंपनी ने दूसरी फर्म के साथ कंसोर्शियम बनाकर टेंडर उठाया और बकायदा जूते-मोजे तैयार कर बच्चों को बाटे भी गया । खुद बेसिक शिक्षा मंत्री ने दावा किया था कि यह जूते ब्रांडेड हैं इतना ही नहीं उन्होने कई बड़ी कंपनियों का बाकायदा नाम भी गिनाया था लेकिन जब कुछ ही महीने बाद बच्चों के जूते फटने शुरु तो कंपनियों पर सवाल उठने शुरु हो गए तो वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी के अनुसार पावरटेक इलेक्ट्रो इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड ने जिन कंपनी के सथ कंसोर्शियम बनाया है उसमे मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी शामिल है। तो वहीं विभाग के अधिकारियों के अनुसार टेंडर में इस तरह कंसोर्शियम बनाकर सप्लाई करने की व्यवस्था दी गई है। जिन तीन कंपनियों को जूते की सप्लाई का काम मिला था इनमे 60 फीसदी सप्लाई का काम ऐसी कंपनी को मिला जो खुद मैन्युफैक्चरर हैं ही नहीं जिसके बाद कुछ ही महीने में छात्रों के जूते फटने लगे मामला जब सुर्खियों में आया तो अधिकारी भी सफाई देने जुट गए तो वहीं हाईकोर्ट की लखनउ खंड पीठ ने सरकार से टेंडर के दस्तावेज तलब कर लिया हैं कोर्ट ने 11 अप्रैल को सचिव स्तर के अधिकारी को दस्तावेज के साथ कोर्ट में हाजिर होने को कहा है।