किस्सा-1… हेलिकॉप्टर पर बैठने की जिद के लिए पड़ी थी पापा की डांट
– 1990 की बात है, जब अखिलेश यादव इंटरमीडिएट की परीक्षा देकर फ्री हुए थे। तब मुलायम सिंह यूपी के सीएम हुआ करते थे।
– इसी दौरान वो एक बार हेलीकॉप्टर से इटावा पहुंचे थे। पूरा इटावा उन्हें देखने के लिए उमड़ पड़ा था।
– मुलायम जैसे ही नीचे उतरे, अखिलेश ने उनसे हेलीकॉप्टर में बैठने की जिद की, लेकिन उन्हें सबके सामने मुलायम ने डांट दिया और कहा- “ये तुम्हारे लिए नहीं है।”
– इस मुद्दे पर अखिलेश कहते हैं- उस समय तो उन्होंने मुझे हेलीकॉप्टर पर चढ़ने नहीं दिया, लेकिन मेरी ऐसी परवरिश की है कि मैं खुद ही एक दिन उसपर चढ़ने के काबिल हो जाऊं।
किस्सा;2…हिंदू कॉलेज में पढ़ना चाहते थे अखिलेश, लेकिन नहीं मिला मौका
– अखिलेश ने 1990 में धौलपुर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की और कॉलेज जाने की तैयारियों में लग गए।
– उनका मन था कि उनका एडमिशन देश के मशहूर हिंदू कॉलेज में हो। लेकिन पिता के एक बयान की वजह से ऐसा नहीं हो सका।
– उस समय अखबारों में मुलायम के अंग्रेजी विरोधी बयान को खूब लिखा जा रहा था। ऐसे में अखिलेश के हिंदू कॉलेज में एडमिशन लेने से मामला और बढ़ जाता। इसलिए उनका एडमिशन मसूरी के जयचामराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इनवायरमेंट में कराया गया
किस्सा-3…इंडियन क्रिकेट टीम के प्लेयर जवागल श्रीनाथ के अच्छे दोस्त थे अखिलेश
– पढ़ाई के दौरान अखिलेश यादव को मैसूर इतना पसंद आ गया कि वो 4 साल वहां पढ़े और छुट्टियों में वो सिर्फ एक बार ही घर आए।
– उनका नाम कॉलेज के जाने माने पूर्व छात्रों की सूची में दर्ज है। इनके साथ इंडियन क्रिकेट टीम के प्लेयर जवागल श्रीनाथ और मंजुनाथ का नाम भी शामिल है।
– कॉलेज डेज में उन्होंने श्रीनाथ से अच्छी दोस्ती कर ली थी। पढ़ाई के दौरान कोई नहीं जनता था कि वो UP सीएम के बेटे हैं।
– वो कहते हैं- अक्सर माता-पिता के बारे में पूछा जाता था, तो मैं यही कहता वो किसान हैं।
किस्सा- 4…वीकेंड पर फ्रेंड्स के साथ ऊटी जाया करते थे अखिलेश
– अखिलेश के पास कॉलेज के पहले दो साल में यामाहा बाइकद थी। बाद में उनके पास डीबीबी-11 रजिस्ट्रेशन नंबर वाली सॉफ्ट टॉप जिप्सी आ गई थी।
– इसी जिप्सी से वो वीकेंड पर मैसूर से 100 किमी दूर अपने दोस्तों के साथ तमिलनाडु या ऊंटी जाया करते थे।
– कभी-कभी चामुंडी पहाड़ी पर बने चामुंडेशवरी मंदिर जाया करते थे। मैसूर का खाना भी अखिलेश को खूब पसंद था, उन्हें वहां का इंद्रास स्वीट और स्पाइस पसंदीदा रेस्टोरेंट था।
किस्सा- 5… फुटबाल खेलते समय टूट गई थी अखिलेश की नाक, आज तक नहीं हुई सीधी
– अखिलेश की नाक टूटने की वजह से टेढ़ी हुई है। बहुत कम लोगों को पता है कि उनकी नाक मैसूर में कॉलेज टाइम पर फुटबाल खेलते हुए टूटी थी।
– जिसके बाद डॉक्टर्स ने भी सर्जरी करने से मना कर दिया था। बाद में मुलायम उन्हें प्रेसिडेंट के पर्सनल डॉक्टर कक्कड़ के पास भी ले गए, लेकिन उन्होंने भी नाक की सर्जरी न कराने की सलाह दी थी।
– मैसूर के कॉलेज में अखिलेश दो लड़कों के साथ कमरा शेयर करते थे। उनकी दिनचर्या में पढ़ाई के अलावा रोज कपड़े धुलना और जूते चमकाना शामिल था।
किस्सा-6…अखिलेश की जिद पर दोस्त के घर गए थे पिता मुलायम
– कॉलेज टाइम में एक बार मुलायम सिंह यादव मैसूर अखिलेश से मिलने गए थे, तब उन्होंने यूपी के सीएम को अपने दोस्तों से मिलाने का वादा किया था।
– उन्हीं दोस्तों में अशरफ उनके काफी करीब थे। उनकी जिद पर मुलायम उनके घर भी गए और वहां 15 मिनट तक रुके। जहां उन्होंने मैसूर की मशहूर मिठाई मैसूर पाक खाई थी।
किस्सा-7…पेड़ से उतरने के लिए अखिलेश मांगते थे टॉफी
– अखिलेश को स्कूल के दिनों में पेड़ पर चढ़ने में बहुत मजा आता था। जब उन्हें पेड़ से उतरने के लिए कहा जाता था तो वो इसके बदले में टॉफी की मांग करते थे।
– ऐसे में परिवार के लोग पास में बनी गेंदालाल की दुकान से दो रुपए के कंपट (एक तरह की टॉफी) लेकर उन्हें देते थे। इसके बाद वो पेड़ से उतरते थे।
किस्सा-8…जब सांप को मारकर हीरो बन गए थे अखिलेश
– जिस चीज को वो ठान लेते थे, फिर वे उसे करके ही रहते थे। अखिलेश जब मिलिट्री स्कूल में पढ़ते थे तो उस समय उनका वजन करीब 25 किलोग्राम था।
– कमजोर दिखने वाले अखिलेश उस समय स्कूल में हीरो बन गए, जब उन्होंने एक सांप को एक छड़ी से मार दिया। स्कूल में सांप होने की वजह से बच्चे डरते थे।
किस्सा-9…कभी अखिलेश भी पिता से मिलने के लिए लगे थे लाइन में
– बात उन दिनों की है जब अखिलेश यादव राजस्थान के धौलपुर के मिलिट्री स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे। तब मुलायम सिंह यादव को यूपी के मुख्यमंत्री की हैसियत से स्कूल में बुलाया गया था। एक तरह से वह पहली बार अपने बेटे से मिलने स्कूल गए थे।
– स्कूल का पूरा लाव-लश्कर मुलायम सिंह की आगवानी में लगा हुआ था। उनका हेलिकॉप्टर स्कूल के मैदान में उतरा, तो सीनियर क्लास के बच्चे उनके स्वागत के लिए एक कतार में पंक्तिबद्ध खड़े थे, ताकि मुलायम सिंह बारी-बारी से उनसे मिल सकें।