दिल्ली के रामलीला मैदान में समाजसेवी अन्ना हजारे के हुंकार में वो जोश वो जज्बा देखने को नहीं मिल रहा जो 2011 में दिखा था आपको बता दें कि रामलीला मैदान में अन्ना हजारे किसानों को पेंशन समेत कुल सात मांगों को लेकर अनशन पर बैठे है अन्ना के पिछले आन्दोलन से निकले कुछ लोग आज पार्टी बना चुके है को कुछ अन्य राजनीतिक दल में शामिल हो चुके है ऐसे अन्ना ने इस आन्दोलन में कोर कमिटी से स्टांप पेपर पर साइन करा लिया है कि वो किसी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होंगे और न ही चुनाव में भाग लेंगे वो देश की सेवा करेंगे यही नहीं अन्ना साफ कह दिया है कि वो आम आदमी पार्टी समेत किसी राजनीतिक दल को मंच पर नहीं आने देंगे आपको बता दे कि अन्ना हजारे ने एक बार फिर जन आन्दोलन कर रहे है लेकिन इस आन्दोलन में मीडिल क्लास के लोग नदारत दिखे जबकि 2011 के आन्दोलन में अन्ना ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था जिसमें लाखों की भीड़ इकठ्टा हुए थे इस बार अन्ना ने किसानों के मुद्दा को लेकर आन्दोलन कर रहें हैं जिसमे ना तो वो जोश दिख रहा है ना ही भीड़ दिख रहे हैं लोगों के मन सवाल उठ रहे है कि अब अन्ना को आन्दोलन करने की क्या जरुरत पडी क्यों कि मोदी सरकार में ना तो कोई भ्रष्टाचार हुआ है ना ही कोई घोटाला फिर अन्ना को अनशन करने की क्या जरुरत पड़ी । तो क्या सिर्फ किसानो के मुद्दे को लेकर अन्ना हजारे इस बड़े आन्दोलन को सियासी हवा देने की कोशिश कर रहे है। क्योंकि इस आन्दोलन को विपक्ष भी बखूबी भुनाने की कोशिश करेगा । अब देखना है कि अन्ना का आन्दोलन कौन सा सियासी रंग देता है।