यह रहस्य है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अंदर क्या हो रहा है। विपक्षी नेताओं की आखिरी बैठक 19 दिसंबर को हुई थी। उसके बाद साइडलाइंस की कुछ बैठकें हुई हैं। ‘इंडिया’ की आखिरी बैठक में तय किया गया था कि तीन हफ्ते में सीट बंटवारा फाइनल कर लिया जाएगा। ध्यान रहे तीन हफ्ते की यह डेडलाइन भी कई बार की विफलता के बाद तय हुई थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेंगलुरू में हुई दूसरी बैठक के समय यानी जुलाई से ही दबाव डाल रहे थे कि जल्दी सीट बंटवारा किया जाए। ममता ने तो 31 अक्टूबर की डेडलाइन दी थी। लेकिन तीन राज्यों के चुनाव की वजह से तीन महीने से ज्यादा समय तक ‘इंडिया’ को कोई बैठक ही नहीं हुई।
जब कांग्रेस हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों में हारी तो आनन-फानन में मीटिंग की एक तारीख तय की, जिसे विपक्षी नेताओं ने खारिज कर दिया। उसके बाद 19 दिसंबर को बैठक हुई, जिसमें तीन हफ्ते की समय सीमा तय की गई। अब उस बैठक के तीन क्या पांच हफ्ते बीत चुके हैं और कहीं भी सीट बंटवारे की बात तय नहीं हुई है। कुछ राज्यों को लेकर शुरुआती बातचीत जरूर हुई है लेकिन फैसला कहीं हो पाया है। उलटे कई राज्यों में बातचीत में बाधा आ गई है, जिसके बाद वार्ता बंद हो गई है। आम आदमी पार्टी के साथ कई दौर की बातचीत हुई लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि पंजाब को लेकर कोई तालमेल नहीं होगा इसी तरह ममता बनर्जी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल छोड़ कर वे बाकी जगह तालमेल के लिए तैयार हैं तो सीपीएम ने कहा है कि केरल छोड़ कर बाकी जगह उसे तालमेल करना है। हालांकि इनमें से किसी के साथ अंतिम समझौता नहीं हुआ है।
इसी तरह 19 दिसंबर के बाद हुई एक वर्चुअल बैठक में एक और बहुत अहम फैसला हुआ था। सूत्रों के हवाले से ही खबर आई थी लेकिन खबर पक्की थी कि सभी नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े को ‘इंडिया’ का अध्यक्ष बनाने की सहमति दे दी है। उस दिन नीतीश कुमार को लेकर कुछ विवाद भी हुआ और बाद में खुद नीतीश ने संयोजक बनने से मना कर दिया। लेकिन अध्यक्ष का नाम तय कर दिया था। फिर दो हफ्ता बीत जाने के बाद भी अभी तक आधिकारिक रूप से गठबंधन के अध्यक्ष के तौर पर खडग़े के नाम की घोषणा नहीं हुई है। सोचें, जब विपक्षी पार्टियों के नेता अपने गठबंधन का अध्यक्ष नहीं तय कर पा रहे हैं तो उससे नेतृत्व को लेकर आम लोगों में क्या मैसेज जा रहा होगा!
ऐसे ही विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने हर महीने एक बैठक करने का फैसला किया था। लेकिन साढ़े तीन महीने बाद हुई 19 दिसंबर की बैठक के बाद फिर एक महीने से ज्यादा हो गए लेकिन बैठक नहीं हुई है। मुंबई की बैठक में एक सितंबर को तय हुआ था कि विपक्ष की साझा रैली होगी। पिछले दिनों की बैठक के बाद मल्लिकार्जुन खडग़े के हवाले खबर आई थी कि आठ साझा रैलियां होंगी। लेकिन अभी तक एक भी रैली की घोषणा नहीं हुई है। मुंबई की बैठक के बाद भोपाल में साझा रैली प्रस्तावित थी, जिसे चुनाव की वजह से कमलनाथ ने रद्द कर दिया था। उसके बाद से विपक्ष के सभी नेताओं के एक मंच पर आने का इंतजार हो रहा है।