देहरादून। राजकीय मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के शोध में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर बात सामने आयी है. जिसमें शोध करने वाली टीम ने शासन को सलाह दी है कि वह बच्चों को लगने वाले निशुल्क टीके में हेपेटाइटिस – ए के टीके को भी शामिल करें। दरअसल सुशीला तिवारी अस्पताल के बाल रोग विभाग में प्रदेशभर के बच्चे पहुंचते है. विभाग के डॉक्टरों ने जनवरी 2019 से अक्तूबर 2020 तक आए बुखार व पीलिया से पीड़ित बच्चों की जांच की. जिसमें से 75 प्रतिशत बच्चे हेपेटाइटिस ए से पीड़ित मिले। हेपेटाइटिस की चपेट में आने का मुख्य कारण पहाड़ में गंदा पानी पीना बताया जा रहा है।
जानिए क्या है हेपेटाइटिस- ए
हेपेटाइटिस ए एक लीवर का रोग है जो वायरस के कारण होता है। इसके होने की सबसे बड़ी वजह दूषित पानी का सेवन है। दूषित पानी बच्चों के लीवर पर हमलाकर उन्हें बीमार करता है। इससे बच्चों को बचाना चाहिए। एसटीएच की बाल रोग विभागाध्यक्ष, डॉ. रितु रखोलिया ने बताया कि, एसटीएच में इलाज के लिए आने वाले बच्चों में सबसे ज्यादा हेपेटाइटिस ए पाया गया है। इसका सबसे बड़ा कारण दूषित पानी है।
बच्चों में मिले हेपेटाइटिस- ए के कई लक्षण
रिसर्च रिपोर्ट भेजने के साथ सरकार से बच्चों को अन्य टीकों के साथ हेपेटाइटिस-ए का टीका लगाने का अनुरोध किया है। कुमाऊं के बच्चों में हेपेटाइटिस ए के कई लक्षण मिले हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों को बुखार, दस्त, थकान, भूख की कमी, पेट दर्द व आंखों और त्वचा का रंग पीला, मूत्र का गहरा हो जाता है।