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त्रिवेन्द्र रावत ने विधानसभा सत्र में  ग्रीष्मकालन राजधानी गैरसैण को घोषित किया,पहाड़ का होगा विकास

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उत्तराखंड का बजट विधानसभा सत्र  के दूसरे दिन उत्तराखंड की ग्रीष्मकालन राजधानी गैरसैण को घोषित कर दिया है।  बजट सत्र के दौरान आज भारतीय जनता पार्टी और उत्तराखंड सरकार में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज एक ऐसी घोषणा कर दी जिसका उत्तराखंड के निवासी वर्षों से इंतजार कर रहे थे।

 गैरसैण को घोषित होने पर पत्रकार सम्मान करते हुए

जिसको लेकर पूरे उत्तराखंड में लगातार आंदोलन चलाए जा रहे थे. उत्तराखंड निर्माण के बाद से लगातार लोगों द्वारा  गैरसैण को राजधानी बनाए जाने की मांग उठ रही थी.
 आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बजट सत्र के दूसरे दिन गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया। प्रदेश के मुख्य्मंत्री  ने कहा कि पहाड़ के विकास के लिए गैरसैण में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने जरूरी थी। क्योंकि देहरादून में बैठकर पहाड़ के लोगों की आवाज नहीं सुनी जा रही थी.

पहाड़ के लोगों का विकास देहरादून में रहकर नहीं किया जा सकता। इसलिए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करते हैं. मुख्यमंत्री के अनुसार सचिव स्तर के अधिकारी गैरसैंण में बैठ सकते है और अपर सचिव स्तर के अधिकारियों को स्थाई रूप से ग्रीष्मकालीन  राजधानी के सचिवालय में तैनात किया जाएगा। ताकि पहाड़ के लोगों का विकास संभव हो सके. 

गैरसैण गढ़वाल और कमायू  के बीच का वह स्थान है जहां पर दोनों प्रांत के लोग आसानी से गैरसैण तक पहुंच सकते हैं. वहां पर अधिकारियों को अपनी बात पहुंचा सकते हैं  गैरसैण राजधानी बनाना इसलिए भी अति आवश्यक था कि उत्तराखंड का राज्य नेपाल और चाइना दोनों सीमा लगता हुआ है.  उत्तराखंड में सबसे ज्यादा समस्या इस चीज को लेकर थी कि वहां से लगातार पलायन कर रहे थे।  पलायन कर लोग  सवस्थ शिक्षा और बच्चो के भविष्य को लेकर राजधानी देहरादून हरिद्वार हल्द्वानी उधम सिंह नगर पहुंच रहे थे.

उत्तराखंड कि गैरसैंण राजधानी बनने से सबसे ज्यादा फायदा यह होगा कि जो लोग विकास के नाम पर उत्तराखंड से पलायन कर रहे थे.वह बंद हो जायगा साथ ही राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र लगातार खाली हो रहे थे उन पर रोक लगेगी। लोगों को वहां स्थाई रूप से रोजगार मिलेगा और भविष्य में उत्तराखंड का तेजी से विकास होगा। दूसरे देशो से लगती हुई सीमा  भी सुरक्षित होगी। 

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