नरेश तोमर, बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों और संगठनों के एक समूह ने संशोधित नागरिकता कानून को मानवीय बताया है। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के अनुसार, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक कारणों से सताए जाने के बाद वहां से भागकर 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को देश की नागरिकता दी जाएगी।
- अल्पसंख्यकों के समूह ने कहा कि इस कानून के माध्यम से भारत ने बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लाखों गैर-मुसलमानों के प्रति अपने कर्तव्य को आंशिक रूप से पूरा किया है।
- कहा कि इन गैर-मुसलमानों को हाल के वर्षों में अपना देश छोड़ना पड़ा है और वे अपने अधिकारों के लिए दावा भी नहीं कर सकते।