सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा, ‘अक्सर देखा गया है कि लोग भारतीय सेना को एक रोजगार का जरिया मानते हैं। नौकरी हासिल करने का जरिया। मैं आपको चेतावनी देता हूं कि अपने दिमाग से इस गलतफहमी को निकाल दें। सेना रोजगार का जरिया नहीं है। यदि आप सेना में शामिल होना चाहते हैं तो आपको शारीरिक और मानसिक मजबूती दिखानी होगी। आपके अंदर कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता होनी चाहिए। रावत ने उन सैनिकों के चेतावनी भी दी जो कर्तव्य से बचने या फायदा पाने के लिए बीमारी या शारीरिक लाचारी की आड़ लेते हैं
सेना ने 2018 को ‘ड्यूटी लाइन में अक्षम सैनिकों का वर्ष’ के तौर पर घोषित किया हुआ है। जनरल रावत ने कहा कि जो जवान और अधिकारी अक्षमता का बहाना करेंगे उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘मैंने सैनिकों और अधिकारियों का एक वर्ग देखा है जो खुद को इस आधार पर अक्षम बताते हैं कि वह उच्च रक्त चाप, हाइपरटेंशन और मधुमेह से पीड़ित हैं। इस आधार पर वह मुश्किल जगहों पर तैनाती से बच जाते हैं।’
रावत के मुताबिक- कई लोग मेरे पास आते हैं और सेना में नौकरी लगाने की बात कहते हैं। मैं उनसे कहता हूं कि भारतीय सेना नौकरी का साधन नहीं है। नौकरी लेनी है तो रेलवे में जाएं या अपना बिजनेस खोल लीजिए। रावत ने कहा- मैं कई ऐसे सैनिकों और अफसरों को जानता हूं जो खुद को हाई ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन, डाइबिटीज से पीड़ित बताते हैं और चुनौती वाली पोस्टों पर नियुक्ति से राहत चाहते हैं। ये लोग दरअसल शारीरिक-मानसिक रूप से कमजोर होते हैं और तनाव झेल नहीं पाते। अगर वास्तव में अक्षम सैनिक जबर्दस्त प्रदर्शन कर सकता है तो उन्हें शर्म आनी चाहिए।
रावत ने यह भी भरोसा दिलाया कि जो पूर्व और वर्तमान सैनिकों ने ड्यूटी के दौरान अपना कोई अंग गंवाया, उनकी पूरी मदद की जाएगी। रावत ने चेतावनी देते हुए कहा- सेना को रोजगार देने वाली संस्था नहीं है। अपने दिमाग से यह गलतफहमी निकाल दें। अगर आप आर्मी ज्वाइन करते हैं तो आपको शारीरिक और मानसिक रूप से चुस्त-दुरुस्त होना चाहिए। हमेशा कठिन हालात का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।