आज महिला दिवस है , विश्व में महिलाओं के समर्पण को सराह रहे है । भारत की बेटियों ने भी पूरे विश्व के आगे देश के पर्चम को लहराया और कभी भी देश के तीरंगे को झुकने नहीं दिया । बॉक्सिंग खेल में एमसी मैरीकॉम ने देश के लिए खूब नाम कमाया और मैरीकॉम को देख इस खेल में आई महिलाओं ने भी देश के लिए काफ़ी मेडल जीते | वाराणसी में एमसी मैरीकॉम की तरह एक ऐसी खिलाड़ी है, जो समाज के मिथक को तोड़ते हुए अपने मेहनत के बल पर बॉक्सिंग रिंग में अच्छे – अच्छे पुरुष खिलाड़ियों को धूल चटा रही है।| ज्योति नाम की यह महिला खिलाड़ी वाराणसी के संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में पुरुष खिलाड़ियों के साथ ट्रेनिंग ले कर अपने गावं का नाम पूरे देश में रोशन कर रही है | ज्योति का हौसला अब कई लड़किया इस खेल में अपने मुक्के का दम दिखा रही है | देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाव , बेटी पढ़ाओ के साथ खेलो इण्डिया का नारा तो खूब दिया, लेकिन देश में सामाजिक सोच में पिछड़ापन होने की वजह से आज भी कई बेटियां ऐसे हैं जो ना तो सही से पढ़ पाती और ना ही किसी खेल को खुलकर खेल सकती है | लेकिन कुछ बेटियां ऐसी भी है जो सामाजिक सोच से हटकर खेलती हैं और अपने देश का नाम भी गौरवांवित करती हैं | ऐसी ही बेटियों में से एक वाराणसी की ज्योति है , जो सामान्य परिवार से होने के बावजूद कुछ ऐसा किया की अब कई लड़कियां इसके जैसा बनना चाहती है | ज्योति एक महिला बॉक्सिंग खिलाड़ी है जो अपने मुक्के से अच्छे – अच्छे पुरुष खिलाड़ियों को टक्कर देती हैं | सेल्फ डिफेन्स के लिए बॉक्सिंग सिखने आयी इस ने अपनी लग्न और मेहनत के बल पर बॉक्सिंग रिंग में अपने मुक्के को लोहा मनवाया | ज्योति अपने मुक्के की ताकत से 5 बार स्टेट चैंपियनसीप में गोल्ड मेडल , राज्य में बेस्ट बॉक्सर ,बेस्ट प्रोमिसिंग खिलाड़ी के साथ – साथ दो बार आल इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम में मैडल जीतकर अपने गावं और अपने शहर का नाम रौशन कर चुकी है | ज्योति के कोच दिलीप सिंह की माने तो ज्योति वाराणसी की पहली महिला बॉक्सिंग खिलाड़ी है, जिसने स्टेट के साथ आल इण्डिया यूनिवर्सिटी में मेडल जीत कर अपने गावं के साथ स्टेडियम का नाम रौशन किया | महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से बीपीएड की पढ़ाई कर रही ज्योति पांडेय पर आज सभी वाराणसी के लोगों को गर्व होता है | दिलीप सिंह ने बताया कि ज्योति जब स्टेडियम में बॉक्सिंग सिखने आई, तो यह अकेली लड़की थी लेकिन ज्योति के मेहनत को देखते हुए कई ऐसे अभिवावक है, जो अपनी बेटियों को इस खेल में भेज रहे है | वही ज्योति को देख अपनी बेटी को बॉक्सिंग की ट्रेनिंग देने वाली आकांक्षा सिंह का कहना है कि बेटियों को बेटों की तरह समझना चाहिए , किसी को कम नहीं समझना चाहिए | देश में आज बेटों के मुकाबले बेटिया सभी क्षेत्रों में आगे निकल रही है , चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या खेल का सभी स्थानों पर बेटियां बेटों को कड़ी टक्कर दे रही है | ऐसे में ज्योति का हौसला देख ज्योति को कोसने वाला समाज ही आज ज्योति की तारीफ कर रहा है |