यूपी के बलिया में यदुवंशी योद्धा वीर लोरिक के ऐतिहासिक अखाड़े पर लोरिक का जन्मोत्सव मनाया गया जहा लोरिक को चाहने वाले लोगो, पूर्व विधायक से लेकर प्रोफ़ेसर तक मौजूद रहे| यदुवंशी योद्धा वीर लोरिक के अखाड़े पर जहा माता दुर्गा का मन्दिर विराजमान है वहा हवन और पूजा अर्चना कर वीर लोरिक को याद किया गया |स्थानीय लोगो कि माने तो माता का यह स्थान वही स्थान है जहा वीर लोरिक माता का पूजा अर्चना किया करते थे और गायो को चराने का काम करते थे इस स्थान को बलिया में लोरिडिः के नाम से जाना जाता है यह स्थान वीर लोरिक के ऐतिहासिक जीवन से जुड़ा है जहा उनके द्वारा माता का पूजन करने के लिए आरती का पात्र बनाया गया था वो आज भी यहाँ मौजूद है जो भूमि खुदाई के दौरान मिला था|
वैसे तो वीर लोरिक का इतिहास इतहास के पन्नो में उनकी वीरता को जगह जगह दर्शाता है उनके जीवन से जुडी अनेको रोचक कहानिया है वही इतिहास करो कि माने तो वीर लोरिक लोकविश्रुत ऐतिहासिक नायक थे जो अपने शौर्य और अपार बल के लिए समस्त उत्तर भारत में विख्यात हैं |वीर लोरिक का जन्म उत्तरप्रदेश के बलिया जनपद (वर्तमान ) के गऊरा गाँव में पंवार गोत्र के एक क्षत्रिय यदुवंशी अहीर घराने में बताया जाता है हाला कि उनके जीवन से जुडी कई बातो को लेकर सोध्कर्ताओ में मतभेद भी है उनके काल निर्धारण को लेकर बहुत विवाद है – कोई विद्वान् उन्हें ईसा के पूर्व का बताते हैं तो कुछ उन्हें मध्ययुगीन मानते हैं | वीर लोरिक राजा भोज के वंशज भी माने जाते हैं |
वीर लोरिक के जन्मोत्सव में मौजूद लोगो ने वीर लोरिक से जुड़े उनके जीवन काल के इतिहास को बताया और लोरिक काव्य जो उत्तर भारत और बिहार में काव्य के रूप में जाना जाता है उनकी कुछ कडियाँ भी सुनाई |
अमित कुमार बलिया
हिंद न्यूज़ टीवी