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आधा दिन साफ-सफाई में बीत जाता है और मिलते है बस छह सौ रुपए

आधा दिन साफ-सफाई में बीत जाता है और मिलते है बस छह सौ रुपए

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थाना सुरीर में झाड़ू लगाते-लगाते कमर झुक जा रही है। आधा दिन साफ-सफाई करने में बीत जा रहा है। वेतन के नाम पर सिर्फ छह सौ रुपए महीने मानदेय मिल रहा है। जिससे घर का खर्चा नहीं चल पा रहा है। यह पीड़ा थाना सुरीर में सफाई करने वाली महिला सावित्री की है। पिछले कई दशक से सावित्री थाना सुरीर में सफाई का कार्य कर रही है। सुबह उठ कर सीधे थाने पहुंच जाती है। जहां झाड़ू लगाने और साफ-सफाई में उसका अमूमन आधा दिन बीत जाता है। कभी कभी उसके बच्चे और पति भी सहयोग करने के लिए आ जाते हैं। वेतन के नाम पर उसे मात्र छह सौ रुपए माह मिलते हैं।

महंगाई के इस जमाने में छह सौ रुपए महीने में वह किस तरह गुजारा कर रही है यह सोचनीय की बात है। सावित्री ने बताया कि वह पिछले करीब दो दशक से थाने में सफाई कर्मी के रूप में काम कर रही है। उससे पहले उसकी सास थाने में सफाई करती थी। सफाई करने के एवज में उन्हें मानदेय के रूप में इस समय सिर्फ छह सौ रुपए महीने मिल रहे हैं। वह भी समय से नहीं मिलते हैं, कई बार दो से तीन माह के बाद मिलते हैं। इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक सफाई कर्मी के रूप में पक्की नौकरी भी नहीं दी गई है। झाड़ू भी उसे अपने पैसों से ही खरीद कर लानी पड़ती हैं। घर में पति समेत पांच बच्चे हैं। जिनका खर्च चलाने के लिए दूसरी जगह मेहनत मजदूरी करनी पड़ती हैं। कभी-कभी ऐसे हालात बन जाते हैं कि मदद के लिए दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है।

उन्होंने इंस्पेक्टर समेत पुलिस अधिकारियों से वेतन बढ़वाने की कई बार मांग की है लेकिन बूते से बाहर होने का बहाना बना कर हाथ खड़े कर देते हैं। सफाईकर्मी सावित्री ने अपनी समस्या का जिक्र करते हुए पुलिस अधिकारियों से उसका वेतन (मानदेय) बढ़ाने की गुहार की है।

हेमंत शर्मा
हिंद न्यूज टीवी

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