जहां एक तरफ प्रदूषण को लेकर पूरे देश में है हल्ला मचा हुआ है और इसके प्रकोपों से बचाव के लिए आम जनमानस को जागरूक करने के लिए सरकारों द्वारा समय-समय पर अभियान भी चलाया जाता रहा है। तो वहीं इस प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बाकायदा एक प्रदूषण बोर्ड की भी स्थापना की गई है।शाहजहांपुर जिले के तिलहर में कचरे से निपटने के लिए कोई भी व्यवस्था शासन द्वारा अब तक नहीं की गई है। जिसके चलते नगर के हजारों घरों और संपूर्ण नगर का कचरा नगर पालिका प्रशासन द्वारा कभी यहां कभी वहां डाल कर उसको खपाने का असफल प्रयास किया जाता रहा है।लेकिन नगर पालिका प्रशासन के सामने समस्या और विकट हो जाती है। कि जब जिस जगह कचरा डाला जाता है वहां के स्थानीय लोग इसका विरोध करने लगते हैं। जो कि स्वाभाविक भी है क्योंकि कोई भी अपने आसपास कचरा बर्दाश्त नहीं कर सकता।कचरा खपाने के लिए नगर में डंपिंग हाउस की व्यवस्था ना होने के चलते अब इसको ठिकाने लगाने का एक खतरनाक अभियान शुरू होता दिखाई दे रहा है । जिसके चलते नगर पालिका कर्मचारी कचरे के ढेर को एक जगह इकट्ठा करने के बाद उसमें माचिस की तीली लगा देते हैं । परिणाम स्वरूप कुछ ही देर में दूषित कचरा धू-धू कर जलने लगता है। और इससे निकला धुआं लोगों के फेफड़ों में सामाने लगता है। इस तरह के जलते हुए कचरे के ढेर आपको नगर के मुख्य मार्गो,सरकारी अस्पताल,काशीराम कॉलोनी,स्कूलो के आस-पास भी दिखाई दे जाएंगे।
एक तरफ जहां शासन प्रशासन द्वारा प्रदूषण नियंत्रण रखने के लिए अपने खेतों में पराली जलाने पर कृषकों के ऊपर जुर्माना किया जा रहा है तो वहीं सरकारी विभाग द्वारा सरेआम दूषित कचरा जला कर उससे प्रदूषण को बढ़ावा दिए जाने का मामला स्वयं भी अचंभित करने वाला हैं।