कानपुर में पिछले आठ दशकों से चल रहे परंपरागत त्यौहार गंगामेला को आज धूमधाम से मनाया जा रहा हैं, जिसकी तैयारियों लोगों काफी दिनों से शुरु कर दी थी । आपको बता दें आजादी से पूर्व क्रांतिकारियों को उनके आजादी के मंसूबों को नाकाम करने की कोशिश में जुटी फिरंगी सरकार ने उस समय 35 से 40 क्रांतिकारियों को जेल भेज दिया था। उस समय इसके विरोध में व्यापारियों से लेकर मजदूरों तक ने क्रांतिकारियों की रिहाई की मांग करते हुए, पूरे कानपुर में बंदी कर दी थी, जिसके चलते अंग्रेजी हुक्मरान बुरी तरह से आहत हो गए, और बाद में उन्हें भारी दबाव के चलते उस समय क्रांतिकारियों को रिहा करना पड़ा था। तभी हटिया बाजार के रज्जन बाबू पार्क से आजादी की इस फूटी चिंगारी को और हवा देते हुए, क्रांतिकारियों ने रंग का ठेला निकाला था, जो परंपरा दशकों से आज तक चली आ रही है। इस मौके पर आज भी उसी रज्जन बाबू पार्क से रंग का ठेला पूरे जुलूस के साथ निकलता है, और हटिया बाजार से निकलते हुए लगभग दर्जनों मुहल्लों से होते हुए गंगा नदी के तट पर सरसैय्या घाट पहुँचते हैं जहाँ धूमधाम से लोग एक दूसरे से होली मिलते है और आयोजित मेले में शामिल होते हैं।