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अशफाक और उसका परिवार आतिशबाजी से जान फूंक कर देता है लंकाधीश रावण को जन्म

अशफाक और उसका परिवार आतिशबाजी से जान फूंक कर देता है लंकाधीश रावण को जन्म अशफाक और उसका परिवार आतिशबाजी से जान फूंक कर देता है लंकाधीश रावण को जन्म

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अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)। भले ही फिरकापरस्त लोगो के दिलो में नफरत की दीवार पैदा कर रहे हों लेकिन इसके बावजूद लोगो में भाई चारे की कोई कमी पैदा नहीं हुई है।  ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है अलीगढ़ में जहां मुस्लिम समुदाय के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी एक से बढ़कर एक विजयदशमी के लिए रावण और दूसरे पुतले बनाते हैं। अशफाक और उसका परिवार आतिशबाजी से जान फूंक कर देता है लंकाधीश रावण को जन्म।

अलीगढ़ में अशफाक और उसका 22 सदस्यों का परिवार लंकाधीश रावण के पुतले में आतिशबाजी जान फूंक कर पिछले 42 वर्षों से हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल कायम करता आ रहा है। अशफाक द्वारा तैयार किये गये लंकाधीश रावण, कुंभकरण व मेघनाथ के पुतले का,दशहरा पर्व पर श्री राम स्वरूप द्वारा अंत किया जाएगा।

यूँ तो विजय दशमी के त्यौहार को अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक माना जाता है लेकिन अलीगढ़ में ये मौक़ा हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहा है।  जी हाँ और ये हैं इस मिसाल की तस्वीरें जहां ये मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी लग्न के साथ अपने हिन्दू भाइयो के लिए एक से बढ़कर एक रावण , मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतले बना रहे हैं  । असलम मियाँ के यहां  ये काम पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आ रहा है। आज उनके परिवार और मुस्लिम समुदाय के ही कई  लोग इस तरह पुतले बनाने के काम में जुटे हुए हैं ।उन्हें भी इस बात की ख़ुशी होती है की वो अपने हिन्दू भाइयो के काम आ पा रहे हैं।

हर बार वो कुछ ना कुछ ख़ास करते हैं ऐसे में इस बार बड़ा विशाल रावण का पुतला बनाया गया है। अलीगढ़ में लंकाधीश रावण का शुक्रवार को दशहरा पर्व पर अंत होगा, नुमाइश मैदान में रावण, कुंभकर्ण व मेघनाथ के पुतलों को अंतिम रुप दिया जा रहा है। इन पुतलों को तैयार कर रहे अशफाक बता रहे हैं। की वह जिला बुलंदशहर के दानपुर निवासी हैं जो कि पिछले करीब 42 वर्षों से अपने दादा-परदादा द्वारा दशहरा पर्व पर रावण के पुतले को बनाए जाने वाले कार्य को लगातार आगे बढ़ा रहे हैं। अशफाक और उसके साथ 22 सदस्यों का परिवार रहता है जो कि हर वर्ष रावण के पुतले को बनाने के लिए यहां आते हैं।अशफाक का कहना है कि इन पुतलों को बनाने का ठेका करीब 3,67,000 रूपये में लिया जाता है। जिसमें तमाम तरह के सामान, आतिशबाजी और बिना धूप ताप देखें एक महीने की कड़ी मशक्कत के बाद रावण कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों को तैयार कर पाते हैं।अशफाक और उसका परिवार इन पुतलों को बनाकर बहुत खुश होता है उनका कहना है कि जिस तरह से हर तरफ हिंदू मुस्लिम को लेकर तनाव बना रहता है उसकी दूसरी ओर यहां हिंदू भाइयों के त्यौहार में इन पुतलों को बनाकर शरीक हो जाते हैं जिससे बहुत खुशी मिलती है। वहीं आगे बताया कि इस बार रावण ठहाके लगाएगा, आंखों से अंगारे निकलेंगे। अशफाक के काम की सराहना लोग करते हैं इसी लिए वह अपने परिवार के साथ अलीगढ़ के अलावा दिल्ली, गाजियाबाद, मथुरा, आगरा, एटा, मुंबई, मेरठ, इलाहाबाद, कानपुर जैसे बड़े शहरों में अपना और अपने परिवार का हुनर दिखा चुके हैं।

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