गांधी जो दक्षिणी अफ्रीका में हुए ज़ुलू विद्रोह को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार की ओर स्वयं सेवक बना।
गांधी जिसने दक्षिणी अफ्रीका में ब्रिटिश की ओर बोअर युद्ध में भाग लिया। गांधी जो भारत आने से पूर्व इंग्लैंड में प्रथम महायुद्ध में एक सैनिक अधिकारी था। आज से एक सौ वर्ष पूर्व 9 जनवरी 1915 को भारत आया। गांधी स्वयं भारत नहीं आये। उन्हें मि, रॉबर्ट्स ने अपने देश जाने का आग्रह किया। गांधी जी अपनी आत्मकथा के अध्याय 42 में इसका विवरण देते हैं और कहते हैं।
” मैने यह सलाह मान ली और देश जाने की तैयारी की ”
गांधी जी ने केवल रॉबर्ट्स की ही सलाह नहीं मानी बल्कि जब लार्ड मौन्टबेटेन भारत के अंतिम वॉइसरॉय ने गांधी जी को आग्रह किया कि आप भारत के विभाजन को मान लो। तब भी गांधीजी ने माउंटबेटन के आग्रह को मान लिया अन्यथा वो अडिग थे कि देश का विभाजन मेरी लाश पर बनेगा और इस प्रकार देश का विभाजन ही नहीं हुआ बल्कि 30 -35 लाख लोग मारे गए जो गांधी जी के आश्वासन पर अपने अपने घरों में ही बने रहे और विभाजन की त्रासदी के शिकार हुए।
इसी लिये गाँधीको ब्रिटीश लोग हाथ नही लगाते की उसे केवल भारतको मिसगाईड करनेके लिये भेजा था,जो उसने बखुबी किया।भारतियोंका प्रिय बना और देशका विभाजन किया,हिंदुओंको गुमराह और गौहत्याबंदी कानुन को मना कर सनातन धर्म को खतम करने का काम अँग्रेजों से लाखो गुणा किया।
यह पुस्तक गाँधी जी ने स्वयं लिखी थी, इस का नाम है सत्य के प्रयोग या आत्मकथा : यह पुस्तक सर्वदा सुलभ है : पुरे देश में मिलती है