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आधार लिंकिंग व आरक्षण मामलें में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, आधार पूरी तरह सुरक्षित, प्रमोशन में आरक्षण जरूरी नही

आधार कार्ड लिंकिंग, आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा आज फैसला

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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय बुधवार को कई महत्वपूर्ण मामलों में 5 जजों की पीठ ने अपना फैसला  सुनाया। सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार ने आधार नंबरों के साथ मोबाइल फोन जोड़ने के निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि यदि मोबाइल उपभोक्ताओं का वेरिफिकेशन नहीं किया जाता तो उसे सुप्रीम कोर्ट  अवमानना के लिए जिम्मेदार ठहराती।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधानपीठ ने गत 10 मई को सभी पक्षों की बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था। जज ने कहा कि आधार कार्ड गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला करना लोगों के अधिकारों पर हमला करने के समान है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण के 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

अब आप स्कूल में एडमिशन कराने, मोबाइल व प्राइवेट कंपनी में आधार कार्ड की जानकारी देना अब जरूरी नही है। मोबाइल बैंक खाते से आधार लिंक कराना गलत समझा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आधार के लिंक पर केन्द्र सरकार की तैयारी नही है।

पीठ का कहना है कि वह अदालतों में भीड़भाड़ को कम करने के लिए ‘खुली अदालत’ की परिकल्पना को लागू करना चाहती है। सेवानिवृत जज पुत्तासामी और कई अन्य लोगों ने आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती दी है। याचिकाओं में विशेषतौर पर आधार के लिए एकत्र किये जाने वाले बायोमेट्रिक डाटा से निजता के अधिकार का हनन होने की दलील दी गई है।

आधार की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए संवैधानिक पीठ में शामिल सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ नाराज हो गए। न्यायाधीश ने कहा, हम न तो सरकार को बचा रहे हैं और ना ही एनजीओ के रुख का अनुसरण कर रहे हैं।

आरक्षण मामला

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आज सरकार आरक्षण के मामले पर बोलते हुए कहा कि सराकरी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण देना जरूरी नही है। फैसला सुनाते हुए जस्टिस नरीमन ने कहा कि नागराज मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला सही था, इसी कारण इस पर विचार विमर्श करना बहुत जरूरी नही है। यानी ये कहा गया कि इस मामले को दोबारा 7 जजो की पीठ के पास भेजना जरूरी नही है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये साफ है कि नागराज फैसले के मुताबिक डेटा चाहिए।लेकिन राहत के तौर पर राज्य को वर्ग के पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता दिखाने वाला मात्रात्मक डेटा एकत्र करना जरूरी नहीं है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों की दलील स्वीकार की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आंकड़े जारी करने के बाद राज्य सरकारें आरक्षण पर विचार कर सकती हैं।

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