उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में मासूम की मौत का ग्राफ लगातरा बढ़ता ही जा रहा है। बुखार से दो माह में अब तक 128 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं अस्पताल प्रशासन रोगियों को देर से अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र लाने का ठीकरा अभिभावकों पर फोड़ रहा है।
बहराइच जिला अस्पताल को देवीपाटन मंडल का मॉडल अस्पताल है लेकिन इस मॉडल अस्पताल में पीआईसीयू एक बेड पर दो-दो मरीज भर्ती हैं। इस अस्पताल में पहले 201 बेड थे जिसमें बाद 100 बेड की और बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीत जाने के बाद से भी अभी तक अस्पताल प्रशासन इन 100 पर रोगियों को भर्ती करने के लिए सुविधाएं और संसाधन नहीं जुटा सका है।
बहराइच जिला अस्पताल में गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर के अलावा नेपाल के भी रोगी पहुंचते हैं। जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड की बात करें तो यहां पर जनरल वार्ड में 40 बेड हैं। प्रतिदिन ओपीडी में इस समय 550 से 800 रोगियों का परीक्षण होता है। इनमें 65 से 70 रोगी भर्ती करने योग्य होते हैं। इसके बाद यहां एक बेड पर दो से तीन मरीज लिटाए जा रहे हैं। जिन्हें बेड नहीं मिलता, वह फर्श पर कराहते हुए या अभिभावकों की गोद में इलाज कराते हैं। दो माह में बुखार डेंगू और अन्य संक्रामक बुखार से अब तक 128 रोगियों की सांसें थम चुकी हैं।
वहीं जब मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एके पांडेय से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि, इस समय बीमारियों का मौसम चल रहा है। ऐसे में मरीजों की संख्या बढ़ी है। जिला अस्पताल में संसाधनों की कमी के मामले की जांच की गई थी। स्वास्थ्य केंद्रों व जिला अस्पताल में समुचित दवाइयां उपलब्ध हैं। रोगी समय से पहुंच जाए तो उसकी जान बचायी जा सकती है लेकिन लोग नीम हकीम के चक्कर में पड़ रहे हैं। मौतों के मामले में सूचना मिली है। जांच करवा रहे हैं। कार्रवाई करेंगे।