भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी की शिकायत मिलने के 24 घंटे के अंदर ही भ्रष्टाचार निवारण संगठन वाराणसी के प्रभारी निरीक्षक रामसागर की टीम ने बिल्थरारोड तहसील में तैनात एसडीएम के अहलमद को रंगेहाथ पकड़ दबोच लिया। अहलमद की गिरफ्तारी से तहसील में हड़कम्प मच गया। रिश्वतखोर अहलमद के खिलाफ प्रभारी निरीक्षक रामसागर की तहरीर पर उभांव पुलिस ने धारा 7/13 (1) डी, 13 (2) व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है। गिरफ्तार अहलमद को वाराणसी स्थित एंटी करप्शन कोर्ट में शनिवार (08 सितम्बर) को पेश किया जायेगा।
नगरा थाना क्षेत्र के गौरीटार निवासी हरिश्चन्द्र यादव ने भ्रष्टाचार निवारण संगठन वाराणसी के प्रभारी निरीक्षक रामसागर से 06 सितम्बर (गुरुवार) को शिकायत किया था कि उन्होंने बिल्थरारोड तहसील क्षेत्र के बिहरा हरपुर निवासी मुर्तजा पुत्र आफताब से आराजी नम्बर 191 में 1/4 भाग जमीन रजिस्ट्री कराया था। वर्ष 2001 में रजिस्ट्री जमीन की तारमीन भी हो गयी, लेकिन कुछ दिनों बाद तहसील प्रशासन की गलती से पुन: विक्रेता मुर्तजा का नाम ही जमीन पर अंकित हो गया। इसकी जानकारी होने पर हरिश्चन्द्र तहसीलदार बिल्थरारोड को नाम सुधार के लिए प्रार्थना पत्र दिया। जांचोपरांत तहसीलदार ने हरिश्चन्द्र के पक्ष में रिपोर्ट भी लगा दिया। वहां से फाइल एसडीएम के अहलमद वशिष्ठ मौर्य के पास पहुंची, लेकिन अहलमद वशिष्ठ मौर्य सुविधा शुल्क के नाम पर हरिश्चन्द्र को दौड़ाने लगा। करीब 6 माह तक दौड़ लगाने के बाद भी काम न होने पर हरिचन्द्र ने अहलमद की डिमांड 1500 रुपये को पूरा करने का भरोसा दिया। अहलमद से बात तय हो गयी कि 07 सितम्बर को तहसील गेट के बगल में हरिश्चन्द्र उसे 1500 रुपये देंगे। इसके साथ ही गुरुवार को वृद्ध हरिश्चन्द्र भ्रष्टाचार निवारण संगठन वाराणसी के दफ्तर में पहुंचकर शिकायत कि। शुक्रवार को प्रभारी निरीक्षक रामसागर के नेतृत्व में इंस्पेक्टर विनोद कुमार यादव, मुख्य आरक्षी नरेन्द्र कुमार सिंह व आरक्षी सुनील कुमार यादव की टीम निर्धारित स्थान पर पैनी नजर रखी। अपरान्ह 2.30 बजे के आस-पास अहलमद तहसील गेट के बाहर आये, जिन्हें हरिश्चन्द्र ने 1500 रुपये रिश्वत स्वरूप दिया। अहलमद पैसा जेब में रख रहे थे, तभी टीम ने उन्हें रंगे हाथ दबोच लिया।
नगरा थाना क्षेत्र के गौरीटार निवासी लगभग 80 वर्षीय वृद्ध हरिचन्द्र ने बताया कि अहलमद वशिष्ठ मौर्य ने उन्हें बहुत परेशान किया है, जिसकी सजा उसको अब अवश्य मिलेगी। हरिश्चन्द्र ने कहा कि वे करीब 6 माह से अहलमद के यहां मत्था टेक रहे थे। अपनी गरीबी का रोना रोते हुए 1500 रुपये देने में असमर्थता जता रहे थे, लेकिन अहलमद की इंसानियत नहीं जगी। वह साफ मना कर दिया कि बगैर 1500 रुपये काम होना सम्भव नहीं है। सही काम के लिए पैसा की डिमांड से आहत हरिश्चन्द्र सीधे भ्रष्टाचार निवारण संगठन वाराणसी के दफ्तर में पहुंच गये, जहां से उन्हें 24 घंटे के अंदर ही न्याय मिल गया। बताया कि वे अब उन्हें विश्वास हो चला है कि उनका नाम निश्चित ही खतौनी पर चढ़ जायेगा।
हिंद न्यूज टीवी के लिए बलिया से अमित कुमार