सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार पांचों सामाजिक कार्यकर्ताओं के नजरबंदी की तारीख बढ़ाकर 12 सिंतबर कर दी गई है। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस को कड़ी पटकार लगाई, कोर्ट ने पुणे पुलिस के एसीपी के बयानों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए कहा कि वह अदालत पर आक्षेप लगा रहे हैं।
Bhima Koregaon case: Supreme Court extended the house arrest of five arrested activists till September 12. pic.twitter.com/T6HbOXvGCx
— ANI (@ANI) September 6, 2018
सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि इन कार्यकर्ताओं को नजरबंद रखने से इस मामले की जांच प्रभावित होगी। जबकि कोर्ट ने रोमिला थापर समेत अन्य याचिकाकर्ताओं से कहा कि वह अदालत को संतुष्ट करें कि क्या एक आपराधिक मामले में तीसरा पक्ष हस्तक्षेप कर सकता है।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ती चंद्रचूड़ ने सख्त लहजे में टिप्पणी करते हुए कहां कि पुणे पुलिस ने कैसे कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए। आपको बता दे, पुणे पुलिस के असिस्टेंट कमिश्नर शिवाजी पवार ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि उच्चतम न्यायालय को इस केस में दखल नहीं देना चाहिए।
महाराष्ट्र पुलिस ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में दावा किया था कि पांच कार्यकर्ताओं को असहमति के उनके दृष्टिकोण की वजह से नहीं बल्कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) से उनके संपर्कों के बारे में ठोस सबूत के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 29 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को छह सितंबर को घरों में ही नजरबंद रखने का आदेश देते वक्त स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ‘असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व’ है।
पीटीआई-भाषा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र पुलिस ने इस नोटिस के जवाब में ही अपने हलफनामे में दावा किया है कि ये कार्यकर्ता देश में हिंसा फैलाने और सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला करने की योजना बना रहे थे। राज्य पुलिस का कहना है कि विरोधी नजरिए की वजह से इन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया और इसे सिद्ध करने के लिए उसके पास पर्याप्त सबूत हैं।
उल्लेखनीय हो कि कि महाराष्ट्र पुलिस ने 28 अगस्त को कई राज्यों में प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों पर छापे मारे थे और माओवादियों से संपर्क होने के संदेह में कम से कम पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इन गिरफ्तारियों को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने जबर्दस्त विरोध किया था।