भीमा कोरेगांव मामले में जिस तरह से वामपंथी विचारकों की गिरफ़्तारियों हुई जिसे लेकर लगातार महाराष्ट्र पुलिस पर सवाल उठ रहे थे, इन्ही सवालों का जवाब देने के लिए आज महाराष्ट्र के एडीजी (कानून-व्यवस्था) परमबीर सिंहने सामने आए। उन्होंने कहा कि पुलिस के पास इन तमाम लोगों के नक्सलियों के साथ संबंध होने के पुख़्ता सबूत हैं। एडीजी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि ये सभी लोग ओवरग्राउंड रहकर अंडरग्राउंड नक्सलियों की मदद करते थे, उनके लिए फंड भी जुटाते थे। उन्होंने कहा है कि जिनके भी नाम आरोपियों की लिस्ट में हैं उनमें से भले ही कुछ लोग गिरफ़्तार न हुए हों लेकिन वो पुलिस की रेडार पर हैं।
परमबीर सिंह ने प्रेंस कॉन्फ्रेंस में कहा, हमारे पास हजारों चिट्टियाां हैं जिससे साफ होता है कि ये लोग अंडरग्राउंड होकर काम करते थे कि कैसे जेएनयू के छात्रों के इस बात के लिये आंदोलित होकर चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंके। इन चिट्ठियों से साफ जाहिर होता है कि इनके माओवादियो से संबंध थे। पुलिस अधिकारी दावा किया कि चिट्ठियों में पाया गया है कि ये लोग ‘मोदी राज’ में ‘राजीव गांधी जैसी किसी घटना’ की योजना बना रहे थे। वहीं कुछ चिट्ठियों में किसी ‘बड़े एक्शन’ की भी योजना थी ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके। परमबीर सिंह ने कहा कि एक डिस्क से तो रॉकेल लॉन्चर का पैम्फ्लेट पाया गया है।
एडीजी के मुताबिक, ‘दिल्ली में रहने वाले रोना विल्सन ने 30 जुलाई, 2017 को एक चिट्ठी में माओवादी नेता प्रकाश को लिखा है कि 4 हजार राउंड और ग्रेनेड लॉन्चर के लिये 8 करोड़ रुपये की जरूरत है।’ गौरतलब है कि वामपंथी विचारक वरवरा राव, वकील सुधा भरद्वाज, एक्टिविस्ट अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वरुण गोन्सालविस को पुलिस ने भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट में ने इनको घर में नजरबंद रखने का आदेश दिया। आज की प्रेस काफ्रेंस से एक बात तो साफ हो गई कि आने वाले दिनों में यह गिरफ्तारियां यही रूकने वाली नहीं है और यह राजनीति यही तो नहीं थमने वाली।