भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामलों में मंगलवार को देश के कई हिस्सों में तथाकथित समाज सेवकों को गिरफ्तार किया था और उन पर आरोप लगाए कि वो लोग नक्सली विचारकों है। वहीं इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने केस में पांच विचारकों की गिरफ्तारी पर 5 सितंबर तक रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा है कि पांचों विचारकों को उनके घर में नजरबंद रखा जाए। वहीं इस मामले में अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी।
Supreme Court directs to keep the five accused under house arrest till September 5. #BhimaKoregaon https://t.co/Jcbt1YhvN2
— ANI (@ANI) August 29, 2018
कौन हुए गिरफ्तार
इस मामले में पुणे पुलिस की ओर से अब तक कुल 5 गिरफ्तारियां की गई हैं। दिल्ली, हरियाणा और हैदराबाद से 1-1 गिरफ्तारी की गई, जबकि मुंबई से 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया। सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरिया और वरनोन गोंजालवेस गिरफ्तार किए गए लोगों में शामिल हैं। पुणे पुलिस ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की।
विपक्ष बोला सरकार का आंतक
मंगलवार को जैसे ही नकस्ली विचारकों को गिरफ्तार किया गया विपक्ष ने इसे सरकार का आंतक करार दे दिया। वहीं इस बीच भीमा कोरेगांव हिंसा में गिरफ्तार आरोपियों की आतंकी संगठनों से रिश्ते का खुलासा हुआ है। गृहमंत्रालय के सूत्रों ने दावा किया है कि महाराष्ट्र पुलिस के पास इसके पर्याप्त सबूत हैं कि आरोपियों के रिश्ते आतंकी संगठनों से है।
गिरफ्तारी के खिलाफ मानवाधिकार आयोग ने भेजा नोटिस
वहीं इस मामले में पुलिस की इस कार्रवाई की तमाम दलों ने भी निंदा की है। कांग्रेस-वामदलों समेत तमाम दलों ने इसे मोदी सरकार का तानाशाही एक्शन करार दिया है। मामले में जिस तरह से गिरफ्तार हुई है, इसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भेजा है। साथ ही जो गिरफ्तारी हुई है उसमें दिल्ली से गिरफ्तार हुए गौतम नवलखा से जुड़े मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही है। साथ ही कोर्ट ने पुणे पुलिस से एफआईआर की ट्रांसलेटड कॉपी मांगी है। कोर्ट में पुणे पुलिस ने जो एफआईआर की कापी के पास मराठी में ही एफआईआर की कॉपी थी, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें ट्रांसलेशन लाने को कहा. वहीं ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है, कुछ अन्य एक्टिविस्टों ने गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका डाली है, जिसकी सुनवाई दोपहर को ही होगी।