नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि राजीव गांधी हत्याकांड मामले के दोषियों को रिहा नहीं किया जा सकता और साथ ही कहा कि उन्हें रिहा करने से एक ‘खतरनाक उदाहरण’ पेश होगा।
केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता पिंकी आनंद ने न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि केंद्र को तमिलनाडु सरकार का दोषियों को रिहा करने का प्रस्ताव स्वीकार नहीं है।
केंद्र ने अपनी रपट में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारों को रिहा करने से गलत उदाहरण पेश होगा। इस मामले पर न्यायपालिका और कार्यपालिका के विभिन्न मंचों से निर्णय किया गया है और कैदी रिहा के काबिल नहीं हैं।
गृह मंत्रालय द्वारा 18 अप्रैल को लिए गए निर्णय से अवगत कराते हुए आनंद ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार के प्रस्ताव पर सात दोषियों को रिहा नहीं करने का फैसला किया है।
गृह मंत्रालय के निर्णय में कहा गया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो ने ‘न्याय के हित’ को देखते हुए तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया है।
केंद्र के दस्तावेज के अनुसार मामले की समीक्षा और जांच न्यायपालिका और कार्यपालिका के विभिन्न मंचों पर किया गया। दोनों मंचों ने मामले का मूल्यांकन किया और निर्णय लिया।
चार विदेशी नागरिक, जिन्होंने 15 अन्य के साथ मिलकर (जिनमें से अधिकतर पुलिस अधिकारी थे) तीन भारतीय नागरिकों की मिलीभगत से इस देश के पूर्व प्रधानमंत्री की जघन्य हत्या की। उन्हें रिहा करने से एक खतरनाक उदाहरण पेश होगा।
केंद्र ने न्यायालय में यह रपट शीर्ष अदालत के उस आदेश के बाद दाखिल किया है, जिसमें केंद्र को तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव पर तीन महीने में जवाब दाखिल करना था।