केंद्र की मोदी सरकार तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) और निकाह हलाला संबंधी मुस्लिम महिला विधेयक, 2017 में कुछ संशोधन कर सकती है। जिसमें एक बार में तलाक देने वालों को तीन साल की सजा को घटाया जा सकता है।
अपको याद दिला दें कि पिछले सत्र में राज्यसभा में विपक्ष ने इसे त्रुटिपूर्ण बताते हुए प्रवर समिति में भेजने की मांग की थी। कांग्रेस की तरफ से लोकसभा बिल में पीड़ित महिला को पति के जेल जाने के बाद गुजारा भत्ता दिए जाने का संशोधन पेश किया गया था लेकिन यह संशोधन निचले सदन में गिर गया।
दरअसल साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार इस विधेयक को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश करना चाहती है, लेकिन विपक्ष द्वारा इस विधेयक के कुछ नियमों पर आपत्ति के चलते यह ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में पिछले सत्र में अटक गया था। लिहाजा केंद्र सरकार विपक्ष को संतुष्ट करने के लिए बिल में कुछ संशोधन कर सकती है।