आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत जी 35 फीट ऊंचे मंच से स्वयं सेवकों को सम्बोधित किया, मोहन भागवत ने कहा भारत के पास ही ऐसी शक्ति है जो विश्व में शांति और सन्तुलन को बनाए रख सकते हैं, बस हमें सचेत रहते हुए एक दुसरे के साथ खड़े रहना होगा। हमारे इस समागम का नाम राष्ट्रोदय है , राष्ट्रोदय का मतलब राष्ट्र का उदय, लेकिन यह भी सच हैं कि हमारा राष्ट्र अमर था, अमर हैं और अमर रहेगा, हर हिन्दू हमारा भाई है, जो भारत माता की जय बोलता है वो हिन्दू हैं, जो इस देश को अपना समझता है जो इस देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने को तैयार है वो हिन्दू है, हमारा देश तो वो देश है जहाँ हम उस राजा की गाथा गाते हैं, जिसने अपने माता पिता के वचन को निभाने के लिए अपना सब राज पाठ त्याग कर 14 वर्षों के लिए वन में चले गए, और धरती पर बढ़ते भार और पाप को खत्मकर अपने राज्य वापिस आए, और राज्य गद्दी को संभाला, लेकिन खुद के लिए नही अपनी प्रजा के लिए, उसके उधार के लिए, इसके साथ ही मोहन भागवत जी ने कट्टर हिन्दू के मतलब को समझाते हुए बताया कि, कट्टर हिन्दु का मतलब कट्टर सत्य बोलने वाला, झूट ना बोलने वाला, धार्मिक प्रवर्ती वालो के लिए कट्टर हिन्दू का प्रयोग किया जाता है . लेकिन लोग इसका गलत मतलब समझ लेते है, इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमारी इस सृष्टि के बहुत सारे रंग है और हम बासुदेव कुटुम्बकम के मंत्र को लेकर चलने वाले लोग हैं । हमारे देश में हजारों जातियों और भाषाओं का प्रयोग करने वाले लोगों का एक ही धर्म है, भारत वो देश है जो समय समय पर दुनिया को धर्म का ज्ञान कराता है, दुनिया भी मानती है कि हम एक हैं लेकिन एक होने के लिए हमें एक सा होना पड़ेगा । मोहन भागवत जी ने एक ऐसी बात को लोगों को समझाने की कोशिश की जो सच में लोगों को समझने की जरुरत है उन्होने कहा कि हमारी आपसी लड़ाई की आग में सब अपनी अपनी रोटी सेकने के लिए प्रयास रथ है । किसी भी कार्यक्रम का उद्देश्य शक्ति प्रदर्शन नहीं होता क्योकि शक्ति अगर है तो उसे प्रदर्शित करने की जरुरत नही होती है। जब कभी देश पर संकट आता है तब स्वयंसेवक वहाँ पंहुचकर अपने प्राणों की चिंता किए बिना राष्ट्र के लिए अपने जीवन का त्याग कर देता है ।