जैसलमेर। पाकिस्तानी पासपोर्ट और बिना भारतीय नागरिकता के साथ, पाकिस्तान से आये हिंदू शरणार्थियों को अपने वोट डालने और भारतीय नागरिकों के लिए प्रदान की जाने वाली अन्य सुविधाओं का लाभ उठाने के अवसर से वंचित रखा गया है। यानि उन्हें वे अधिकार नहीं मिले हैं जो एक भारतीय नागरिक के पास हैं।
हिंदुओं होने के नाते, शरणार्थियों के साथ पाकिस्तान में भेदभाव और उत्पीड़न किया जाता था, जिसके कारण उन्होंने सीमा पारकर यात्रा करने और भारतीय नागरिक के रूप में अपनाये जाने का फैसला किया।
हालांकि, जो शरणार्थी हैं, जिनमें से अधिकांश राजस्थान के जैसलमेर में रह रहे हैं, भारतीय नागरिकता नहीं मिल पाने के कारण अपना वोट नहीं डाल सकते हैं और अपने बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाने और अन्य मूल अधिकारों से वंचित रखे गए हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, नाथू राम भील, एक नागरिकता काउंसिलर जो खुद 1990 में पाकिस्तान से भागकर आये थे और उन्हें 2005 में भारतीय नागरिकता प्रदान की गई थी, उन्होंने कहा कि हिंदुओं के साथ पाकिस्तान में भेदभाव, उत्पीड़न और भी दूसरे तरह के भेदभाव किये जाते हैं। इसकी वजह से हमने भारत आने का फैसला किया। हम में से अधिकांश जैसलमेर में रह रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले पाकिस्तान से आये लगभग 20,000 शरणार्थी हैं, जिसमें ज्यादातर जैसलमेर ही आये थे।
भारत सरकार ने उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं दी है और लंबे समय से इस प्रक्रिया को रोक रखा गया है। अगर जल्द ही नागरिकता हासिल हो जाती है तो वे मतदाताओं के रूप में पंजीकृत हो जायेंगे, तो वे अपने स्वयं के नेताओं को स्वतंत्र रूप से चुनने में सक्षम होंगे। बच्चों के प्रवेश के दौरान उनसे आधार कार्ड लाने के लिए कहा जाता है।
उन्होंने शरणार्थियों को सशक्त बनाने के लिए सरकार से अपील की।
उनका कहना है कि वे सरकार से और कुछ और नहीं चाहते हैं, वे अपनी जीविका का प्रबंध करने में सक्षम हैं, लेकिन सरकार को उनकी आवाज सुनाई देनी चाहिए और उन्हें वोट देने का अधिकार हासिल होना चाहिए, इससे उन्हें बहुत मदद मिलेगी। इसलिए मैं भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करता हूं इस मामले को उठाइए।
2007 में भारत आने वाले एक शरणार्थी मोरू राम ने कहा कि सभी कानूनी कार्यवाही का पालन करने के बावजूद उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं दी गई थी। उन्हें आश्वासन दिया गया कि उन्हें नागरिकता दी जाएगी, लेकिन यह अभी तक नहीं हुआ है।
उन्होंने एएनआई को बताया कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नागरिकता प्रदान करने के लिए अपील करता हूं, ताकि हम मतदान में भाग ले सकें।