नई दिल्ली। आज लोकसभा में भारत के गृहमंत्री ने मॉब लिंचिग पर बयान दिया। अपने बयान में उन्होंने कहा कि सरकार कत्तई इस तरह अप्रत्याशित घटना का समर्थन नहीं करती है। बल्कि जानकारी होने पर तुरंत कार्रवाई करती है। लेकिन इस तरह की घटनायें रोकने की जिम्मेजारी राज्य सरकारों की होती है।
लेकिन कांग्रेस गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बयान से असंतुष्ट दिखी और वह सदन से वॉक आउट कर गई।
बता दें, हाल के दिनों में देश में मॉब लिंचिंग की कई घटनायें घटित हुई हैं, जिसमें भीड़ ने किसी न किसी को पीट-पीटकर जान से मार डाला है। मारने वालों ने मरने वालों पर कोई न कोई आरोप मढ़ दिया। इसको लेकर पूरे देश में असंतोष का माहौल है और चारों तरफ इस बात लेकर चर्चा जोरों पर है। इसी बात को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार के खिलाफ घेरेबंदी करने में जुटा हुआ है।
कल यानि 20 जुलाई को विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए एकजुट है। हालांकि सरकार गिरने की उम्मीद कम है, लेकिन विपक्ष जिस तरह से एकजुट हो रहा है और सरकार के सहयोगी दल अपना पत्ते नहीं खोल रहे हैं। इसके साथ सत्तारुढ़ पार्टी के असंतुष्ट सांसद का एक-एक करके सरकार के खिलाफ मतदान करने का ऐलान सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें जरूर बना दिया है।
आइए आपको समझाते हैं कि क्या है संक्याबल का गणितः
भाजपा के पास मौजूदा वक्त में बहुमत के लिए 272 सीटें है। अगर भाजपा के बागी नेताओं शत्रुघ्न सिंहा और कीर्ति आजाद को एनडीए से बाहर भी कर दें, तब भी भाजपा के पास 270 सीटें हैं, जो कि बहुमत के आंकड़े से दो ज्यादा है, जबकि भाजपा के सहयोगी सांसदों की संख्या 12 है। ऐसे में सरकार गिरने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। इसके अलावा भाजपा के पास सहयोगी दलों शिवसेना के 18, एलजेपी के 6, अकाली दल के 4 और अन्य के 9 सदस्यों का समर्थन हासिल है। इस तरह से एनडीए के कुल सांसदों की संख्या 310 हो जाती है।
इस तरह से इस बात की संभावना बहुत कम है कि सरकार पर कोई असर होगा, लेकिन इसके बहाने विपक्ष केंद्र के खिलाफ अपने मन की भड़ास जरूर निकालेगा और यह कहेगा कि देश की जनता का अापकी सरकार के प्रति विश्वास नहीं रह गया है।