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क्या है IPC की धारा 497 का पूरा मतलब, क्या नहीं कर पाएंगे पत्नी पर केस?

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इन दिनों IPC की धारा 497 खासा चर्चा में बनी हुई है, दरअसल यह धारा चर्चा में इस लिए है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें इसे लैंगिक भेद पर आधारित बताया गया था, और अब केंद्र सरकार ने इस पर जवाब दाखिल करते हुए मौजूदा कानून में बदलाव का विरोध किया है।

क्या है यह कानून-

IPC की धारा 497 व्यभिचार यानी Adultery से जुड़े क्राइम की सजा को तय करती है। इस धारा के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी शादीशुदा महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, चाहे महिला की मर्जी से ही क्यों न बनाए गए हों, तो वह व्यभिचार का अपराधी माना जाएगा।

व्यभिचार में लिप्त महिला के खिलाफ किसी भी तरह की सज़ा या दंड का प्रावधान कानून में नहीं है।पत्नी के खिलाफ इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकता और न ही विवाहेत्तर संबंध में लिप्त पुरुष की पत्नी इस दूसरी महिला के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकती है, लेकिन ऐसी महिला का पति उस पुरुष के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए एडल्टरी नामक इस कानून का सहारा ले सकता है।

अगर महिला के पति को इससे आपत्ति नहीं है, तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी। कुल मिलाकर महिला एडल्टरी की शिकायत नहीं कर सकती है, यानी एडल्टरी के मामले में उसकी शिकायत के कोई मायने नहीं हैं।

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