सन् 1938 में नागपुर के संघ शिक्षा वर्ग में श्री गुरुजी सर्वाधिकारी थे । उस समय जो बौद्धिक वर्ग हुआ करते थे l वे अपने विचारों को स्पष्ट रुप से प्रकट करने हेतु दिनांक-05.05.1938 की रात को बैठक में श्री गुरुजी ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा -” आज दोपहर मान्यवर प्रांत संघचालक जी ने वर्ग मे होने वाली गर्मी और तकलीफों के विषय मे विवेचना करते हुए कहा कि यह वर्ग हमें यह सिखाता है कि संघ -जीवन की कठिनाइयों और आपत्तियों के समय में भी हमें अपना धैर्य नही खोना चाहिए ।