शिवाजी महाराज के बाल्यकाल की एक घटना है, जब वो अपने पिता के साथ बादशाह के यहां जा रहे थे। तब उन्होंने देखा कि रास्ते में एक कसाई गाय को घसीटते हुए ले जा रहा था और वहां के बाजार के हिन्दू सिर झुकाए बैठे हुए थे। गौरतलब, है कि उस वक्ते मुगलों का राज था तो ऐसे में भला कौन क्या करता। इतिहास की किताबों पर अगर आप नजर घुमाएंगे तो आपको पता चलेगा कि मुगल शासन में हिन्दूओं के मंदिर तोड़े जा रहे थे, गायों का कत्ल हो रहा था।
वहीं जब गौ भक्त शिवाजी ने देखा कि कसाई गाय को काटने ले जा रहा है तो उन्होंने अपनी तलवार निकाल ली। उन्होंने गाय की गले की रस्सी काटी और कसाई का सिर धड़ से अलग कर दिया। ऐसे में नजाने क्यों राहुल सांस्कृत्यान ने अपनी किताब में एक जगह लिख दिया कि हिन्दू पर्व में गौ मां खाते थे! हो सकता है कि राहुल सांस्कृत्यन कहीं न कहीं किसी ऐसी संगत में पड़ गए थे, जहां पर उनकी लेखनी प्रभावित हुई!
हिन्दू अपने धर्म-कर्म का पालन करता है। साथ ही हिन्दू कालान्तर से गाय को माता मानकर पूजते हैं। ऐसे में हिन्दू को गौ मांस का भक्षक बताकर राहुल ने इस धर्म में भ्रम पैदा करने के लिए मिथक जोड़ दिया है!
इतना तो तय है कि हिन्दू धर्म में ब्याप्त गाय को माता का दर्जा देने वाले हम सभी हिन्दू धर्म अनुयायी ज्यादातर गौ मूत्र से पैदा हुए हैं जो ऋषि विश्वामित्र व ऋषि बशिष्ठ के आपसी ध्वन्ध के परिणति हैं! ये ही कारण भी है कि तेंतीस कोटि देवी देवताओं का वास माना जाता है।