अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन के बीच सिंगापुर में एक ऐतिहासिक मुलाक़ात के बाद से दुनिया एक और युद्ध की और जाने वाली है। यह युद्ध शीत युद्ध नहीं होगा। इस युद्ध में जो सैनिक उतरेंगे वो हाथों में लैपटॉप लिए अपना नफा नुकसान तौलेगें। क्योकि यह वार ट्रैड वार होगी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किम से मुलाकात के मुद्दे पर साफ कहा था की बातचीत का मुद्दा परमाणु निरस्त्रीकरण के साथ साथ क्षेत्रिय शांती का होगा। वहीं उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन की तरफ से ऐसा कोई बयान नहीं आया हैं की वो किस मुद्दे को बातचीत में उठाएंगे। ऐसे में पूरी दुनिया इस मुलाक़ात को लेकर काफी उम्मीदें हैं में है साथ ही आर्थिक जगत भी इस मुलाकात पर नजर बनाए हुए है। किम और ट्रंप की मुलाकात के पहले ही अमेरिकी डाओ जोन्स में करीब 5 प्रतिशत की तेजी देखी गई वहीं दक्षिण कोरिया के शेयर मार्केट भी हरे रंग में दिखाई दिए।
लेकिन आगर आने वाले दिनों में किम और ट्रंप की दोस्ती हुई तो वो पूरे विश्व जगत के आर्थिक परिवेश को बदल कर रख देगी। अमेरिका पहले से ही सबको ट्रैड वार के लिए आंख दिखा रहा है। बीतें दिनों हुए जी-7 के शिखर सम्मेलन को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बीच में ही छोड़कर निकल गए थे।
उत्तर कोरिया और चीन की नजदीकियां किसी से छिपी नहीं है।वहीं चीन विश्व में अपनी बादशाहतक कायम करने के लिए उत्तर कोरिया का बखूबी इस्तेमाल करेगा।
ऐसे में पूरे विश्व के सामने एक नया आर्थिक समीकरण पैदा होगा जिसका सीधा फायदा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर उत्तर कोरिया को ही होगा।
भारत के लिए इस मुलाकात के मायने
वैसे तो, इस मुलाकात में भारत को फौरी तौर पर कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है। लेकिन अगर उत्तर कोरिया परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए राजी हो जाता है, या फिर अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढाने पर जोर नही होता है तो ऐसे में भारत और उत्तर कोरिया के संबंध मजबूत दो सकते है। भारत और उत्तर कोरिया एक अच्छे मित्र के साथ साथ अच्छे व्यापारिक संबंध भी रख सकते हैं।