पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। वहीं उन्होंने अपने भाषण में कहा कि भारत में राष्ट्रीयता एक भाषा और एक धर्म की नहीं है। भारत की ताकत उसकी सहिष्णुता में निहित है और देश में विवधता की पूजा की जाती है। आगे उन्होंने कहा कि लिहाजा देश में यदि किसी धर्म विशेष, प्रांत विशेष, नफरत और असहिष्णुता के सहारे राष्ट्रवाद को परिभाषित करने की कोशिश की जाएगी तो इससे हमारी राष्ट्रीय छवि धूमिल हो जाएगी।
प्रणब दा के इस संबोधन के बाद बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इसे अपने विचारों की जीत और दूसरे को दी गई नसीहत बताने में लगी हुई है।
वहीं दूसरी तरफ प्रणब दा ने जब RSS का निमंत्रण स्वीकार किया था तब से लेकर उनके कार्यक्रम में शामिल होने तक इस पर बवाल मचा हुआ था। कांग्रेस के कई दिग्गजों समेत खुद प्रणब दा की बेटी ने इस निमंत्रण और इस कार्यक्रम में उनके जाने का विरोध किया था। बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्विटर पर पिता को नसीहत दी कि आज की घटना के बाद प्रणब मुखर्जी इस बात को मानेंगे कि बीजेपी किस हद तक गंदा खेल सकती है।आगे उन्होंने लिखा कि यहां तक कि RSS भी इस बात पर विश्वास नहीं करेगा कि आप अपने संबोधन में उनके विचारों का समर्थन करेंगे। साथ ही शर्मिष्ठा ने ये भी लिखा कि भाषण तो भुला दिए जाएंगे, लेकिन तस्वीरें बनी रहेंगी और उनको नकली बयानों के साथ प्रसारित किया जाएगा।