लखनऊ। महंत सुरेश दास समेत कई पुजारी आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करके अयोध्या के राम मंदिर पर चर्चा करने वाले हैं। संतों का कहना है कि राम मंदिर एक गंभीर मसला है इस पर चर्चा की जानी चाहिए और अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए। अगर इस बात को सरकार गंभीरता से नहीं लेती है तो हम इसका बदला 2019 में लेंगे।
बता दें, 2014 के आम चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के एजेंडे में अय़ोध्या में राम मंदिर का मुद्दा शामिल किया गया था कि भाजपा देश और प्रदेश में भाजपा सरकार आने पर राम मंदिर पर विधि सम्मत कार्रवाई होगी और मंदिर के निर्माण में आने वाली दिक्कतों को दूर करके मंदिर का निर्माण करवाया जाएगा। केंद्र सरकार का चार साल से अधिक का समय बीत गया और राज्य में सरकार बने हुए तकरीबन 15 माह बीत गए हैं। लेकिन राम मंदिर पर आज तक कोई चर्चा नहीं की गई कि कब से राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होगा, क्योंकि भाजपा का यह स्वर्णिम काल चल रहा है। इसके पहले भाजपा कभी इतनी मजबूत नहीं थी और न तो उम्मीद ही है कि आगे फिर से यह मजबूती कायम रह पाएगी।
गौरतलब है कि इसके पूर्व राम जन्म भूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य एस दास ने कहा है कि राम के साथ भारतीय जनता पार्टी ने एक तरह से धोखा किया है। राम के नाम से पार्टी सत्ता में आई और फिर राम को ही भूल गई। अगर भाजपा को 2019 में फिर से सत्ता में वापसी करनी है तो सरकार को राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करना पड़ेगा, नहीं तो 2019 में चुनाव जीतना उनके लिए बहुत टेढ़ी खीर होगी।
लेकिन राम मंदिर पर चर्चा या मंदिर बनवाने के बारे में बात ऐसे समय में की जा रही हैं जब केंद्र सरकार के सत्ता में आए चार साल से अधिक समय बीत गया है और देशभर में होने वाले उपचुनावों में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ रहा है, तो क्या साधुओं और संन्यासियों को यह लगने लगा है कि भाजपा 2019 का चुनाव कहीं हार न जाए। इसके पहले वे भी बहती हुई गंगा में हाथ धोने का काम कर रहे हैं।