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मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का किसानों ने किया विरोध, शिवसेना का मिला समर्थन

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पालघर: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट देश की पटरियों पर बुलेट ट्रेन दौड़ाने का सपना अब खतरे में पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है क्योंकि पालघर के किसानों ने बुलेट ट्रेन के विरोध में मोर्चा खोल दिया है। ऐसे में हमें ये समझना होगा कि आखिर पालघर के किसान बुलेट ट्रेन के खिलाफ क्यों है।

बता दें, मुंबई से अहमदाबाद के बीच बन रही बुलेट ट्रेन का मार्ग पालघर से होता हुआ जाता है। ऐसे में इन किसानों की जमीन इस प्रोजेक्ट की भेट चढ़नी है, जिसके चलते किसानों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोला है। बात यहीं तक सीमित होती तो केंद्र में बैठी मोदी सरकार इससे निपटने के लिए कोई रास्ता खोजती, लेकिन अब सरकार के लिए परेशानी दोगुनी इसलिए भी है क्योंकि शिवसेना विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में आ गई है।

एमएलसी नीलम गोरे का कहना है कि हमने पालघर में किसानों के संगठन का समर्थन करने का फैसला किया है, न कि किसी भी राजनीतिक मकसद के लिए हम ऐसा कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हम किसानों और उनके अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। हमें उम्मीद है कि सरकार बुलेट ट्रेन परियोजना पर फिर से सोचेगी। चलिए अब आपको 2014 में ले चलते हैं जहां आप ये जानेंगे कि ये वहीं शिवसेना है जिसने केंद्र में बैठी मोदी सरकार को सपोर्ट दिया, लेकिन पिछले कुछ समय पहले शिवसेना कह चुकी है कि वो 2019 का आम चुनाव अपने बलबूते लड़ेगी। अब इस बात में कितनी सच्चाई है जरा इस पर भी गौर फरमाइये।

दरअसल, जहां एक तरफ शिवसेना बीजेपी से अलग होने जैसी बातें कह रही है तो वहीं दूसरी तरफ उसने केंद्र में अब तक बीजेपी का दामन थामा हुआ है। यही नहीं मुंबई के मेयर का पद भी शिवसेना बीजेपी के सपोर्ट से चला रही है। ऐसे में 2019 में क्या होगा ये तो वक्त ही बताएगा।

गौरतलब, है कि शिवसेना पालघर में मिली हार के बाद से बौखलाई हुई है जिसके बाद से वो बीजेपी के खिलाफ हो रहे कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है। ऐसे में ये कहना अभी मुश्किल है कि 2019 में शिवसेना बीजेपी का दामन थामेगी या सिर्फ अपने ही दम पर 2019 के चुनाव जीतने के लिए रण में उतरेगी। वहीं मोदी के ड्रीम प्रोरजेक्ट में आ रही परेशानी कब तक खत्म होगी ये कहना भी थोड़ा मुश्किल है।

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