शिमला। शिमला में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। इस गंभीर पेयजल की कमी के बाद, यहां नगर निगम पुलिस सुरक्षा के तहत पानी वितरित कर रहा है।
पानी के लिए पहाड़ पर मचे हाहाकार निपटने के लिए 70 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
इस बीच, खनिज जल थोक व्यापारी, जसवीर सिंह ने एएनआई को बताया कि शिमला में पानी की कमी के कारण बोतलबंद पानी की मांग में 50 से 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आमतौर पर मैं 400 बोतलों की पानी की बोतलों की आपूर्ति करता हूं, लेकिन अब खुदरा विक्रेताओं के लिए मांग बढ़कर 700 बोतलों की हो गई है।
हिमाचल प्रदेश के शिमला में पर्यटन उद्योग को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है, क्योंकि पर्यटक पहाड़ी पर पानी की कमी की वजह से अपनी यात्रा रद्द कर रहे हैं।
पर्यटन उद्योग से संबंधित स्थानीय होटल वाले और अन्य लोग जिनकी रोजी-रोटी पर्यटन उद्योग से चलती है, वे चिंतित हैं, क्योंकि पानी संकट के बारे में सोशल मीडिया पर खबरों में बाढ़ आ गई है, जिससे पर्यटक पहाड़ पर आने से आनाकानी करने लगे हैं।
बुधवार को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिमला नगर निगम को टैंकरों के माध्यम से पानी वितरित नहीं करने का निर्देश दिया।
अदालत ने राज्य सरकार और शिमला नगर निगम को निर्माण और कार धोने के निर्माण के लिए किसी भी पानी की आपूर्ति की अनुमति नहीं दी है।
अदालत ने शहर में पानी की ज्यादा कमी के कारण इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है और पिछले दो सालों से उच्च न्यायालय में लंबित जनहित याचिका पर आदेश दिया है।
शिमला प्रशासन ने शहर में पानी की कमी के कारण 1 से 5 जून तक निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय शिमला ग्रीष्मकालीन महोत्सव को भी स्थगित कर दिया है।
गौरतलब है कि हिमाचल की अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग का काफी महत्व है। अगर पहाड़ों पर पर्यटक घूमने के लिए नहीं आएंगे तो वहां की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। लोगों को अपनी रोजी रोटी चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
जनता ने किया सीएम आवास का घेराव
पानी की घोर किल्लत का सामना कर रहे शिमला में जनता ने त्रस्त होकर सीएम आवास का घेराव किया है।